अंतिम संस्कार में भी भ्रष्टाचार, फ्री विद्युत शवदाह गृह में हो रही 5000 रुपये तक वसूली

प्रतीकात्मक तस्वीर
लखनऊ: कोरोना समेत अन्य कारणों से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार में होने वाली दिक्कत से निजात के लिए नगर निगम ने आनन-फानन में डेढ़ करोड़ रुपये से लखनऊ के गुलाला घाट पर विद्युत शवदाह गृह बनवाया है। नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन और मेयर संयुक्ता भाटिया ने आठ सितंबर को इसका उद्घाटन किया था। दु:ख की घड़ी में लोगों को होने वाली असुविधा से बचाने के लिए किए गए इंतजाम को कर्मचारियों ने कमाई का जरिया बना लिया है।
अंतिम संस्कार के नाम पर एक से पांच हजार रुपये तक की वसूली हो रही है, जबकि नियमानुसार कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता। अगर कोई खर्च आता भी है तो रसीद देने की व्यवस्था है, हालांकि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। एनबीटी की पड़ताल में पूरे खेल का खुलासा हुआ। मौके पर मौजूद लोगों से लेकर अंतिम संस्कार करने वालों से बातचीत में इसकी पुष्टि हुई। एनबीटी के पास वसूली का विडियो और ऑडियो दोनों साक्ष्य के तौर पर मौजूद हैं।
रोज हो रही 20 से 25000 की वसूली
गुलाला घाट पर काम करने वाले कर्मचारियों के अनुसार, रोज करीब 20 से 25 हजार रुपये की वसूली होती है। आरोप है कि कर्मचारी टिंकू पांडेय वसूली करता है। शव लेकर आने वालों से पांच हजार रुपये मांग जाते हैं। तय-तोड़ के बाद एक हजार रुपये तक में समझौता होता है। रात में शव लेकर आने वालों से दस हजार रुपये तक की वसूली होती है। आरोप है कि कई बार संस्कार के नाम पर रुपये लिए जाते हैं। पूरे खेल में शव दाहगृह की जिम्मेदारी देखने वाले आरआर विभाग लाइनमैन की मिलीभगत है।
बिना चढ़ावा नहीं होता अंतिम संस्कार
बंगाल के मजदूर श्रीराम (26) की 28 अक्टूबर को सड़क हादसे में मौत हो गई थी। मोहनलालगंज स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में कम करने वाले श्रीराम का शव लेकर साथी मजदूर आए थे। गुलाला घाट पर क्रियाकर्म बाकी काम के लिए 2200 रुपये मांगे गए। दोस्त का शव लेकर आने वालों में शामिल रंजीत ने बताया कि ऐंबुलेंस वाले के हस्तक्षेप से 1200 रुपये में बात तय हुई। 200 रुपये ऐंबुलेंस ड्राइवर ले गया।