आर्ट आफ लिविंग के शिक्षकों ने सिखाई ‘‘सुदर्शन क्रिया‘‘

चार दिवसीय आनलाइन ब्रीद एण्ड मेडिटेषन वर्कषाप सम्पन्न

कोरोना महामारी के इस संकट से निबटने में सहायक है सुदर्शन क्रिया

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सक्त माध्यम

योग और ध्यान के माध्यम से जीवन को सुखमय बनाने की कला सिखाई

उरई/गौतमबुद्ध नगर (नौयडा)। पूरी दुनिया में योग और ध्यान के आइकन तथा शांतिदूत और गुरुदेव के नाम से विख्यात आर्ट आफ लिविंग इण्टरनेशनल के संस्थापक श्रीश्री रवि शंकर द्वारा कोरोना महामारी से विष्व को बचाए रखने तथा इस महामारी के डर से फैलने वाले अवसाद की स्थिति से लोगों को दूर रखने के लिए आनलाइन योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया सिखाने के विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि सुदर्शन क्रिया अलौकिक अनुभूति प्रदान करने वाली, शरीर को स्वस्थ करते हुए मन को शांत करके जीवन में सुखद बदलाव लाने वाली ध्यान और श्वसन की तकनीकि है।
इसी सिलसिले में विगत दिवस सम्पन्न हुई आनलाइन ब्रीद एण्ड मेडिटेषन वर्कषाप में आर्ट आफ लिविंग के अनुभवी षिक्षकों द्वारा गौतमबुद्ध नगर (नौयडा), गाजियाबाद, दिल्ली, झांसी, ललितपुर तथा उरई के तमाम प्रतिभागियों को प्रषिक्षण दिया गया। जिसमें आर्ट आफ लिविंग के पूर्णकालिक वरिष्ठ शिक्षक, योग, ध्यान के अतिरिक्त आर्गेनिक खेती के विषिष्ट प्रषिक्षक मिर्जापुर निवासी श्री बाल कृष्ण यादव, अपनी महत्वपूर्ण सेवाओं और विषिष्ट कार्यषैली के लिए सरकार द्वारा सम्मानित गौतमबुद्ध नगर के मुख्य विकास अधिकारी तथा आर्ट आफ लिविंग के शिक्षक श्री अनिल कुमार सिंह, उरई से परिषदीय अध्यापक, वरिष्ठ योग षिक्षक तथा आर्ट आफ लिविंग के हैप्पीनेस फैकल्टी श्री राज कुमार शर्मा तथा रेडीमेड गारमेण्ट व्यवसायी तथा आर्ट आफ लिविंग के शिक्षक श्री राजेष माथुर ने योग, ध्यान, सुदर्षन क्रिया, तन को स्वस्थ एवं मन को शांत रखने की तकनीकियों से अवगत कराया।
आर्ट आफ लिविंग के पूर्णकालिक शिक्षक, मिर्जापुर निवासी श्री बाल कृष्ण यादव ने बताया कि हमारे अस्तित्व के सात स्तर हैं। योग और ध्यान अस्तित्व के हर स्तर पर अपना प्रभाव छोड़ते हुए जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। जिससे व्यक्तित्व निखरता है तथा दैनिक समस्याओं, उलझनों का सामना करने की व्यक्ति की क्षमता बढ़ती है। उंन्होंने बताया कि व्यक्ति जीवन में जिन विरोधाभासी मूल्यों का सामना करता है वे वास्तव में एक दूसरे के पूरक होते हैं। किन्तु इस तथ्य को समझे बगैर व्यक्ति प्रायः नकारात्मकता की ओर ही आकर्षित होता है। उन्होंने इससे बचकर जीवन को सुखमय बनाने के तरीकों को भी विस्तार से समझाया।
अपनी अद्भुत कार्यक्षमता तथा कार्यषैली के सम्मानित गौतमबुद्ध नगर के मुख्य विकास अधिकारी तथा आर्ट आफ लिविंग के शिक्षक श्री अनिल कुमार सिंह ने साधारण सांस तथा उज्जयी सांस में अन्तर बताते हुए उसकी उपयोगिता से लोगों को परिचित कराया। इसी क्रम में उन्होंने गुरुदेव श्रीश्री रवि शंकर द्वारा प्रतिपादित ‘‘सुदर्षन क्रिया‘‘ की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि सुदर्षन क्रिया शारीरिक, मानसिक तथा सांवेगिक बदलाव लाते हुए व्यक्तित्व में बड़े सकारात्मक परिवर्तन लाती है। जिससे स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन के साथ साथ आत्मविष्वास में वृद्धि होती है तथा पारिवारिक व सामाजिक सम्बन्ध बेहतर बनते हैं।
श्री सिंह ने यह भी बताया कि वैष्विक महामारी कोरोना के इस दौर में सुदर्षन क्रिया रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने का बेहद सरल व सुगम उपाय है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति सौ से अधिक षारीरिक व मानसिक बीमारियों से बचा रहता है। भागदौड़ और तनाव भरी आज की जीवनषैली में सुदर्षन क्रिया चित्त को शांत और चैन की नींद दे सकने वाली अद्भुत क्रिया है।
कार्यषाला में शिक्षक श्री राजेष माथुर ने बताया कि लोग अपनी दिनचर्या व कार्य स्थल पर प्रायः कोई भी काम पूरे मन से नहीं करता जोकि असफलताओं का कारण बनता है। जैसे भोजन करते करते टीवी देखना, कार्यालय में मोबाइल पर बात करते काम करना आदि। अपने कार्य में सौ प्रतिषत ध्यान न देने के कारण नौकरी, व्यवसाय तथा सामाजिक सम्बन्धों में असफलता तथा असहजता की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
परिषदीय शिक्षक तथा पिछले 15 साल से लगातार योग सम्बन्धी सेवाएं दे रहे उरई निवासी वरिष्ठ योग शिक्षक, आर्ट आफ लिविंग के हैप्पीनेस फैकल्टी श्री राज कुमार शर्मा ने प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराया तथा सुखी जीवन जीने के लिए कारगर ज्ञान सूूत्र बताए। उन्होंने कहा कि इन सूत्रों को जीवन में अपनाकर लाखों लोग भय, चिंता, अवसाद और तनाव से मुक्त हुए हैं। जीवन सूत्रों पर प्रकाष डालते हुए उन्होंने बताया कि व्यक्ति प्रायः या तो पुरानी गुजरी बातों, घटनाओं और यादों में जकड़ा रहता है या फिर भविष्य के बारे में विचार करता रहता है। गुजरी बातों से अक्सर दुःख, पछतावा, पश्चात्ताप आदि से घिर जाता है। जबकि भविष्य की बातों से सिर्फ भय, चिन्ता, अवसाद, उलझन आदि विकार घेरे लेते हैं। इस तरह से भूत-भविष्य के जाल में उलझकर वह अपने वर्तमान को नष्ट कर लेता है। जबकि वर्तमान क्षण अटल है व्यक्ति को वर्तमान में रहकर उसका पूरा आनन्द लेना चाहिए।
चार दिवसीय इस कार्यशाला को सफल बनाने में आर्ट आफ लिविंग की वालण्टियर श्रीमती सरोज सिंह तथा श्रीमती रेखा सिंह की विषिष्ट भूमिका रही। प्रतिभागियों में दीपक सिसौदिया, प्रियंका मित्तल, सुनील कुमार सिंह, विक्रम सिंह, सुनीता सिंह, अनीता शुक्ला, रुचि पाण्डेय तथा अरुण सिंह आदि ने अपने अनुभव कार्यषाला में तथा सोषल मीडिया पर सब को बताए।

संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.

सुझाव एवम शिकायत- प्रधानसम्पादक 9415055318(W), 8887963126