लखनऊ: नारी बंदी निकेतन में बुधवार की देर शाम खुले आसमान के नीचे सजायाफ्ता महिला कैदियों ने चांद का दीदार कर करवाचौथ का अपना व्रत तोड़ा। सुहागिन 228 महिला कैदियों ने गीत गाए और विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनसे दूर रह रहे पति के जीवन की लंबी आयु की प्रार्थना की। नारी बन्दी निकेतन लखनऊ की जेल अधीक्षक नयनतारा बनर्जी का कहना है कि एक साथ विधि-विधान से जेल के मैदान में चांद देखकर महिला कैदियों के द्वारा पूजा अर्चन करना पहली बार हुआ।
ढोल बजाए गीत गाए गए और डांस भी ने किया
राजधानी लखनऊ के नारी बंदी निकेतन में बीते एक सप्ताह से जेल के अंदर का माहौल बदला बदला था। करवा चौथ के पर्व पर महिला कैदियों को व्रत रखना था। इसके लिए उन्होंने तैयारियां शुरू की। जेल अधीक्षक को 2 दिन पहले पूजन के सभी सामान लिख कर दिए गए। ज्यादातर महिला कैदियों ने नई साड़ी मंगाई, पूजन के सभी सामग्री मंगाई गई। जेल अधीक्षक नयनतारा बनर्जी का कहना है कि यह आयोजन जेल में बंद सजायाफ्ता कैदियों के लिए उनकी खुशी देखने के लिए वाली है। उनका पूजन और पूजन करने के तरीका देखकर ऐसा लगा कि यह कितनी खुश हैं।
आजीवन कारावास फांसी की सजा वाली रहती हैं इस जेल में
नारी बन्दी निकेतन की जेल अधीक्षक ने बताया कि, लखनऊ में आजीवन कारावास और फांसी की सजा से दंडित की गई महिला बंदी भी रखी जाती है। लंबी अवधि की सजा से दंडित पुरुषों को तो प्रदेश की पांच सेंट्रल जेल में रखा जाता है। लेकिन महिला बंदियों को रखने की यह प्रदेश की एकमात्र जेल है। जिसमें संपूर्ण उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों से लाई गयी लंबी अवधि की सजा से सिद्धदोष महिला बंदी निरुद्ध की जाती है।
232 महिला बंदी यहां निरुद्ध
नारी बंदी निकेतन लखनऊ में कुल 232 सिद्ध दोष महिला बंदी निरुद्ध हैं। जिसमें 200 महिलाएं आजीवन कारावास की है। शेष 32 महिलाएं 10 वर्ष की सजा से दंडित हैं। 232 में से 228 महिला बंदी विवाहित हैं। शेष 04 अविवाहित हैं।
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