एसपी डॉ. सतीश कुमार स्वयं कर रहे हैं सभी बिंदुओं का परीक्षण
सीओ कोंच के नेतृत्व में जारी है पुलिस कार्यवाही
रिपोर्ट में नामजदगी और वास्तविकता मे है फर्क
उरई(जालौन): जनपद के कोंच नगर में 14/15 जून की रात इसहाक के कत्ल की सनसनी खेज वारदात के कुछ आरोपियों की गर्दन पर पुलिस के हांथ पकड़ बना चुके हैं। मगर कुछ क़ातिल अभी पकड़ से बाहर हैं।
कोतवाली कोंच के सूत्रों से उक्त कत्ल की वारदात के बारे में छनछन कर जो सूचना मिली है। उसमे एक बहुत चौकाने वाली सच्चाई यह है कि एफआईआर मे वादी ने जिन दो सगे भाइयों के नाम लिखवाए हैं। अबतक हुई पुलिस की छानबीन में उनमे से एक भाई के खिलाफ ही साक्ष्य मिल रहे हैं। दूसरे भाई को पुलिस अधिकारियों द्वारा निर्दोष माना जा रहा है। जबकि इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि वादी ने जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमे कुछ असली कातिलों के नाम ही दर्ज नहीं किये गए हैं। पुलिस विवेचना के पहले राउंड में तो यह उलझी हुई सच्चाई पुलिस के सामने एक पहेली बनकर आयी। मगर पुलिस महकमे के दिग्गज माने जाने वाले और पूर्व में जनपद के कई स्थानों के साथ कोंच में भी तैनात रह चुके अनुभवी क्षेत्राधिकारी कोंच राजीव प्रताप सिंह जिनके नेतृत्व में इसहाक हत्याकांड की विवेचना का जटिल कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अपने अनुभव और पुराने मुखबिरों की सूचना के आधार पर जब घटना के प्रत्येक बिंदु की गहन समीक्षा की तो यह बात सामने आई कि एफआईआर में जहां निर्दोष की नामजदगी कराई गई है। वहीं कुछ ऐसे अपराधी भी इस घटना को अंजाम देने में शामिल हैं। जिनके नाम ही इस घटना की एफआईआर में दर्ज नहीं हैं। हालांकि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। लेकिन छनछन कर आ रही जानकारी के मुताबिक सच्चाई यही है। अब देखना यह होगा कि रेड जोन के बीच पुलिस का सख्त पहरा रहते हुए इसहाक के कत्ल की वारदात को जिस क्रूरता से अंजाम दिया गया है। वह कोंच पुलिस ही नही जनपद के पुलिस प्रशासन के लिए भी एक चुनौती है। इसी कारण पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार इस बीच में स्वयं कोंच जाकर पकड़े गए व्यक्तियों से पूछताछ एवं तथ्यों का परीक्षण स्वयं कर चुके हैं। उन्होंने विवेचना में लगे पुलिस दल को यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई दोषी बचने न पाए और कोई निर्दोष जेल न जाए।