वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव मे भाजपा बुंदेलखंड की सभी 19 सीटो पर एकतरफा विजय मिली थी
सभी विरोधी दलो का सूपडा साफ हो गया धा
लेकिन आगामी वर्ष 2022 मे होने वाले विधान सभा मे भाजपा के लिए पिछला पॗदर्शन दौहरा पाना टेडी खीर हो गया है
बुंदेलखंड पॗृथक राज्य का अब तक ना बन पाना , बेरोजगारी ,पलॎयन ,अन्ना पशुओकी समस्या मंहगाई ,जलसंकट तथा देश व्यापी किसान आंदोलन भाजपा की जीत मे बडी बाधा है
लखनऊ |बुंदेलखंडमे आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के लिए वर्ष 2017 के चुनाव को दोहराना टेडी खीर जैसा होता जारहा है | मालूम हो कि देश मे बुंदेलखण्ड वह इलाका है |जिसका जिकॗ आते ही सूखा, किसान ,आत्महत्याऐ, बेरोजगारी और पलायन के चित्र सहज ही उभरने लगते है इसी लिए उपॗ के 7 जिलो बांदा,चित्रकूट झांसी ,ललितपुर महौबा हमीरपुर ,जालौन और म्ध्य पॗदेश के 7 जिलो को मिलाकर लोग|बुंदेलखंड पृथक राज्य के निर्माण की मांग लेकर पिछले क ई दशक से मांग उठती रही है| ताकि बुंदेलखंड क्षेत्र र लोगो का सर्वागीण विकास होसके | इसमे स्वगीय शंकर लाल मेहरोत्रासे लेकर ,राजा बुंदेला, डा बाबूलाल तिवारी ,भानु सहाय , सतयेन्दॗ पाल सिंह से ले कर मध्य पॗदेश के मुकुंद किशोर गोस्वॎमं से लेकर उ पर और म्ध्य पॗदेश कुल 14 जिलो डेढ दर्जन से अधिक संगठन धरना पॗदर्शन ,आंदोलन करते आरहेहै
| भाजपा की फायरी नेता उमा भारती जब वर्ष 2014 में झांसी ललितपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद बने और फिर केंद्रीय मंत्री बनी तो उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा और झांसी में प्रेस वार्ता करके यह घोषणा कर दी थी कि अब 3 साल के भीतर पृथक बुंदेलखंड राज्य बन जाएगा |लेकिन वह आज तक नहीं बना और उमा भारती भी केंद्रीय मंत्रिमंडल और भाजपा के सांसद पद से भी हट गई है |इसको लेकर बुंदेलखंडी ओके जो सपने थे वह अचानक टूट गए और लोगों में गुस्सा और आक्रोश भर गया है |इसके अलावा सूखा ,किसानो की आत्महत्याऐ मंहगाई ,खाद कासंकट ,युवाओ मे बेरोजगारी ,पलायन की समस्याए आज भी मुंह बाए खडी है | पिछले विधान सभा चुनाव उ पॗ कू बुंदेलखंड की कुल 19 सीटो मे भाजपा से समस्याओं के समाधन को लेकर बुंदेलखंड के मतदाताओं ने सभी 19 की सीटो पर भापा के पॗत्याशियो को एकतरफा जीत दिलाई थी | और सपा ,बसपा कांगेॗस समेत सभी विपक्षी दलो का सूपडा साफ कर दिया था | वर्ष 2017 में भाजपा को विदित ने बड़ी जीत के पीछे पहली बार पिछड़े वर्ग का वोट एक मुश्त वौट मिल ना रहा| बसपा का वोट बैंक भी उसके पाली से चिपक कर भाजपा के पाले में काफी कुछ चला गया |यहां तक की सपा के आधार वोट बैंक यादव जाति का भी 15 से 20% वोट भाजपा की ओर शिफ्ट हुआ|| जबकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा बसपा को 6 -6सीटें मिली |जब कि कांग्रेस को 4 और भाजपा को 3 सीटें मिल पाई थी| इसके बाद सपा के सपा के सत्ता में आ जाने और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बनने के बाद हुए दो उपचुनाव में भाजपा के यहां तो यह दोनों सीटें भी निकल गई और बुंदेलखंड में सपा की सीटों की संख्या बढ़कर 8 हो गई|लेकिन लेकिन वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा को जो इतनी प्रबल जीत मिली थी उसके पीछे मतदाताओं का सत्तारूढ़ दल सपा के प्रति नाराजगी भी एक बहुत बड़ा कारण था| यदि बुंदेलखंड मैं पिछले 5 चुनाव का विश्लेषण करें तो पाएंगे की राम लहर के दौरान भाजपा को बुंदेलखंड से वर्ष 1991 में सबसे अधिक 11 सीटें मिली थी| इसके बाद 2017 के पहले तक भाजपा किसी भी चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई| वर्ष 2007 में जब प्रदेश में अपने बलबूते पर बसपा ने सरकार बनाई तब उसने बुंदेलखंड मेंअपनी बढत बनाई और 15 सीटें जीती थी l देखा जाए तो बुंदेलखंड के वर्षों तक कांग्रेस का साथ दिया लेकिन वर्ष 2007 में पहली बार बसपा की सरकार बनवाने तथा बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती को मुख्यमंत्री बनवाने में बुंदेलखंड वासियों ने खुलकर सहयोग दिया| लेकिन जब मायावती के शासन मे भॗष्टाचार बढा |और टिकक खरीदने बेचने के आरोप लगे तो तो तो प्रदेश और बुंदेलखंड की जनता ने 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा को खारिज करते हुए नए चेहरे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को बड़ी संख्या में जलाकर प्रदेश में पहली बार अखिलेश यादव की सरकार बनाने का काम किया| सपा सरकार ने गुंडागर्दी माफिया गिरी अवैध खनन तो होता देख भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जब अवैध खनन गुंडागर्दी माफिया गिरी और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की बात कही तो जनता ने वर्ष 2017 के चुनाव में सपा को खारिज करते हुए भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनवा दी भाजपा जो दो बातों खासतौर से गुंडागिरी माफिया गिरी तथा भ्रष्टाचार खत्म करने की बात को लेकर जो सत्ता में प्रबल रूप से आई उसमें गुंडागिरी माफिया गिरी में रोक लगाने में काफी हद तक सफल रही लेकिन भ्रष्टाचार और खासतौर से सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने में असफल रही जनता और विरोधी दलों का मानना है कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामले भाजपा का शासन अपनी पिछली सरकारों से आगे निकल गया है इसके चलते आज बुंदेलखंड में जोआगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने बुंदेलखंड में जो प्रमुख मुद्दे पूरी ताकत से खड़े हैं उनमें पृथक बुंदेलखंड राज्य का अब तक न बन पाना, भ्रष्टाचार, किसान की आत्महत्या और किसान आंदोलन युवाओं में बेरोजगारी, पलायन जल संकट खाद की समस्या यह ज्वलंत मुद्दे आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड में भाजपा की विजय की राह को टेढ़ी खीर बनाए हुए हैं| इतना तो तय है कि जिस तरह से बुंदेलखंड की जनता ने वर्ष 2014 वर्ष 2000 17 और वर्ष 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में केंद्र और राज्य में नरेंद्र मोदी की सुनामी के चलते पूर्ण बहुमत दिया बुंदेलखंड वासियों ने चारों के चारों लोकसभा सीटें तथा 2017 में सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा को धूप में समर्थन देकर सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया| आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के लिए बुंदेलखंड में 2017 के प्रदर्शन को दोहराना लगभग टेढ़ी खीर साबित होगा|
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.