उम्र कैद में 14 साल, 20 या 30 साल की सजा क्यों होती है, उम्रभर क्यों नहीं!

यंग भारत ब्यूरो
कई लोगों को लगता है कि उम्र कैद का मतलब एक निश्चित समय की कैद (14 वर्ष, 20 वर्ष आदि) होती है और साथ ही ये भी कि कैदी के दिन और रात अलग-अलग गिने जाते हैं.
अलग-अलग गिने जाते हैं मतलब – हम-आप जैसे एक साधारण व्यक्ति का दिन, एक कैदी के दो दिन के बराबर गिना जाएगा और यूं यदि किसी को 14 वर्ष की सज़ा हुई है तो वो ऊपर की गणित के हिसाब से केवल सात साल सलाखों के भीतर बिता कर एक आज़ाद पंछी हो जाएगा.
कितनी सच्चाई है इन सब बातों में, उम्र कैद के बारे में अलग अलग बातें क्यूं सुनने में आती हैं?
# फर्स्ट थिंग फर्स्ट:‘उम्र कैद’ का मतलब है कि दोषी को अपना बचा हुआ पूरा जीवन जेल में बिताना होगा. पीरियड.
सुप्रीम कोर्ट ने भी ‘उम्र कैद’ पर सालों से चले आ रहे इस ‘मिथ’ को ‘बस्ट’ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2012 को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा –
ऐसा लगता है कि (लोगों के बीच) एक गलत धारणा है कि ‘उम्र कैद’ की सज़ा पाए हुए कैदी के पास चौदह वर्ष या बीस वर्ष कारावास में रह चुकने के बाद रिहा होने का एक अनिवार्य अधिकार है. लेकिन दरअसल कैदी के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं है.
यदि संबंधित सरकार द्वारा कोई छूट नहीं दी जाती तो ‘उम्र कैद’ की सज़ा पाया हुआ कैदी अपने जीवन के अंत तक जेल में रहेगा.
यानी उम्र कैद में केवल तभी छूट दी जाएगी जब संबंधित सरकार देना चाहेगी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि यदि संबंधित सरकार द्वारा ‘उम्र कैदी’ को राहत दी भी जाती है तो भी दोषी को कम से कम 14 साल तो जेल में बिताने ही होंगे.
ऊपर की सारी बातों से क्लियर हो जाता है कि ‘चौदह वर्ष’, लोवर लिमिट है, अपर लिमिट नहीं!
यानी कितनी ही माफ़ी वगैरह मिले लेकिन उम्र कैद के मामले में कम से कम चौदह साल तो बिताने ही पड़ेंगे. और हां, ये चौदह साल ऐसे नहीं होंगे कि दिन-रात को अलग अलग काउंट करके दोषी सात सालों में ही बाहर.
ऊपर जहां पर भी‘संबंधित सरकार’ शब्द का उपयोग हुआ है उसे किसी राज्य का राज्यपाल या राष्ट्रपति से बदल दें. और ये डिपेंड करता है इस बात पर कि केस क्या है.
इन सब मामलों में और क्लेरिटी पाने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील उमेश शर्मा से बात की. उन्होंने हमें बड़े आश्चर्यजनक तथ्यों से अवगत करवाया. पहली बात तो उन्होंने ये बताई कि –
आम आदमियों के बीच ही नहीं ‘उम्र कैद’ को लेकर कन्फ्यूज़न कोर्ट तक फैला हुआ था. इसलिए ही खुद माननीय सुप्रीम कोर्ट को रेसक्यू में आना पड़ा. और इसलिए ही अब उम्र कैद की सज़ा देते वक्त कोर्ट स्पेसिफाई करता है – ‘एंटायार लाईफ’ – ज़िंदगी भर!