एसपी जालौन डॉ. सतीश कुमार का लखनऊ तबादला, यशवीर सिंह होंगे जिले के नए एसपी

अल्प समय में चले गए म्रदु भाषी डॉ. सतीश
विधायक कालपी का पत्र और सीओ सिटी की करतूतें बनी तबादले का कारण

उरई(जालौन): शनिवार की शाम को प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई आईपीएस अधिकारियों की तबादला सूची में जालौन के एसपी का लखनऊ तबादला कर दिया गया। जबकि लखनऊ में तैनात युवा आईपीएस यशवीर सिंह को जालौन जिले का नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है।

उल्लेखनीय है कि डॉ. सतीश कुमार का जनपद में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यकाल छोटा रहा। मगर उन्होंने अपनी शालीनता के चलते एक अलग छाप छोड़ी।

पुलिस के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एसपी सतीश कुमार के साथ जिले के थाना अध्यक्षों द्वारा धोखे बाजी का व्यवहार किया जा रहा था। थानेदार केवल पैसा कमाने और स्याहको सफेद तथा सफेद को स्याह करने में जुटे थे। सज्जन एसपी सतीश कुमार के भोलेपन का समाज के सबसे चालाक माने जाने वाले दरोगा वर्ग ने यहां जमकर लाभ उठाया। बहुत लंबे समय से सीओ सिटी के रूप में जमे संतोष सिंह द्वारा लाभ उठाने की नई-नई तरकीबें थानेदारों से लागू करवाई जाती थीं। किसी भी घटना अथवा पुलिस के अपराधियों के विरुद्ध लागू किये जाने वाली कार्यवाहियों में “फील गुड” के आधार पर कीमत चुकाने वाले अपराधी किस्म के बख्शने तथा समाज के शरीफ लोगों को फसाकर अवैध वसूली करने का काला धंधा करने और करवाने का काम सीओ सिटी संतोष सिंह के नेतृत्व में जारी था। स्वभाव से सीधे और अधिनश्तों पर विश्वास कर लेने वाले पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश की आंखों में धूल झोंकने का काम सीओ सिटी अपनी लॉबी के थानेदार और दरोगाओं से मिलीभगत करके निरंतर जारी रखे हुए थे। जिसके फलस्वरूप जनपद के कुछ जनप्रतिनिधियों एवम सरकार से जुड़े सूत्रों द्वारा मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जा रही थीं। जिससे पुलिस अधीक्षक बेखबर रहे और सीओ सिटी ने अपने चहेते दरोगाओं के साथ मिलकर खूब लाभ अपने हिस्से में बटोरा और बुराई एसपी के पाले में कर दी। यहां यह स्मरण रहे कि वर्तमान पुलिस अधीक्षक डायरेक्ट आईपीएस होने के नाते घाग हो चुके सीओ सिटी के झांसे में बने रहे। जिससे उन्हें तबादला झेलना पड़ा। वहीं यह उल्लेखनीय है कि पूर्व पुलिस अधीक्षक स्वामी प्रसाद जो कि रैंकर अधिकारी थे। वे सीओ सिटी संतोष सिंह की पूरी कार गुज़रियों को जल्दी ही समझ गए थे और संतोष सिंह की उन्होंने कुछ इस तरह मुश्कें कस दी थीं कि सीओ बुरी तरह छटपटाने लगा था। तभी सीओ संतोष ने अपनी शतरंजी चाल के मोहरे आगे बढ़ाए और तत्काल एसपी स्वामी प्रसाद का जिले से तबादला हो गया। मगर नए और सादा तबियत आईपीएस वर्तमान एसपी जैसे ही सीओ को मिले सीओ सिटी ने अपनी मीठी-मीठी बातों के जाल में कुछ इस कदर मोहित किया कि वे सीओ सिटी पर कुछ ज्यादा ही विश्वास करने लगे। और पुलिस की कमाई के मामले में विशेषज्ञ हो चुके सीओ सिटी ने एक और पारी खेल दी। जिसका फायदा उसके खाते में तथा ट्रांसफर का फल एसपी के खाते में आया। बालू घाटों के सूत्र बताते हैं कि सीओ सिटी द्वारा अपने सर्किल क्षेत्र में पड़ने वाले बालू के घाटों से तो अधाधुंध कमाई सीओ करता ही था। जबकि सर्वाधिक और बड़े बालू घाट जो कालपी सर्किल में पड़ते हैं। रात भर वहीं रहकर अधाधुंध वसूली स्वयं करता और करवाता था। इसमे उसने एआरटीओ फील्ड, खनिज अधिकारी और कुछ अन्य लेनदेन वाले अधिकारियों की एक टीम बना रखी थी। जो एसपी और डीएम की नजरें बचाकर दम से वसूली में संलग्न रहती थी। अधिकारियों की टीम का नेतृत्व करने वाला और उन्हें नई चाले समझाने वाला सीओ सिटी संतोष तो ट्रक के ना रुकने पर किसी होमगार्ड की तरह खिड़की पर लटक कर ड्राइवर को बाहर खींच लेता था। ये सब जानकारी कालपी के क्षत्रिय विधायक को बहुत नागवार गुजरी। जिसकी जानकारी लखनऊ जाकर विधायक कालपी ने मुख्यमंत्री के समक्ष ब्योरे वार रख दी। सीओ के चहेते और दलालों ने भी कुछ ऐसी चाल खेली की पुलिस की बुराइयों का ठीकरा सीधे सादे एसपी सतीश कुमार के सिर फोड़ दिया गया। उनका यादव होना भी उनका तबादला करवाने में सहायक बना। इधर जालौन पुलिस में भरी पड़ीं जनविरोधी करतूतों के लिए जिम्मेदार तीन वर्ष से सीओ सिटी जैसे महत्वपूर्ण पद पर जमा पड़ा संतोष सिंह गुड़ के बाप कोल्हू की तरह है। मगर चूंकि वह भाजपा की चहेती दलित बिरादरी वर्मा से आता है और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी लाभ के आधार पर उसका समर्थन करता है। अतः वह न सिर्फ अभी भी अपनी पोस्ट पर कायम है। बल्कि नए आ रहे एसपी को शीशे में उतारने की पूरी योजना में जुट गया है।

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