बीजेपी के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘इलाके के एक वरिष्ठ जाट नेता के तौर पर, मलिक को अपने समुदाय की भावनाओं के बारे में पता है। वरना वह कभी भी संवैधानिक पद पर रहते हुए अनुशासन का उल्लंघन नहीं करते।’ किसान आंदोलन ने ही क्षेत्र में विपक्षी पार्टियों के अंदर एक बार फिर से जान फूंक दी। खासतौर पर राष्ट्रीय लोक दल, जिसके अध्यक्ष जयंत चौधरी हैं और जो 2019 लोकसभा चुनाव में हारे थे।
ये सब बीजेपी की चिंता बढ़ाने का काम कर रहा था, जिसने साल 2014 का चुनावी कैंपेन ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से शुरू किया था। राज्य के 21 पश्चिमी जिलों में कृषि लोगों की आजीविका का साधन है। इस क्षेत्र के प्रमुख राजनेता कृषक समुदाय से आए और राम जन्मभूमि आंदोलन के शुरू होने तक कृषि मुद्दे ही चुनावी राजनीति पर हावी रहे।
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