कोरोना के चलते सरकार के स्कूल बंदी के आदेश का खुला उल्लंघन

कालपी के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज को खोले रखा गया, यहां नहीं चला सरकारी आदेश

महामारी में गाइड लाइन के खुले उल्लंघन पर कड़ी कार्यवाही की मांग

नगर शिक्षा अधिकारी ने बैक डेट 28 अगस्त में कॉलेज खोलने का मांगा स्पस्टीकरण

मास्टर साहब जी ये जीवन मिथ्या ही तो है और अटल सत्य है मौत जिसका पूरा इन्तेजाम आपके कर कमलों द्वारा न सही लेकिन आपके कर कमालों द्वारा जरूर किया जा रहा था,जीवन और मृत्यु के बीच खिंची लकीर को मिटाने की जो गजब की कोशिश आपने की यकीन मानियेगा यमराज भी हैरान होगा कि कैसे साँसों से कीमती है सिक्को की खनक जिसके आगे न आपको कोरोना जैसी महामारी दिखी और न ही सरकार के आदेश।इनका आपसे परिचय बाद में कराते है पहले इनकी कारिस्तानी जान लीजिए कि कैसे कालपी नगर के बीचों-बीच विद्यालय चलता रहा,आखिर क्यों विद्यालय संचालित होने की सूचना मिलने के बाद भी अधिकारी खामोश रहे।

दरअसल कालपी नगर के सदर बाजार स्थित विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में रोजाना की तरह आज सुबह करीब 8 बजे विद्यालय खुला हुआ था जिसपर उसी बिल्डिंग में एक अन्य विद्यालय सरस्वती विद्या पीठ नाम से संचालित हो रहा था जिसके बाद देखते-देखते विद्यालय में प्रधानाचार्य गिरजाकान्त बुधौलिया ने प्रवेश किया और फिर धीरे-धीरे बैग के साथ बच्चों ने भी विद्यालय में प्रवेश किया जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जिसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी को फोन पर इसकी सूचना दी तो उन्होंने कहा कि अभी दिखवाते है लेकिन खास बात तो ये है कि जब सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के द्वारा कोरोना काल में सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने की बात कही जा चुकी है उसके बावजूद भी विद्यालय कैसे संचालित हो गया।

फिलहाल एक बात तो माननी पड़ेगी कि मास्टर साहेब के ऊपर ऊपर वाले साहब का आशीर्वाद था,भगवान का आशीर्वाद हो या न हो लेकिन हाकिम का आशीर्वाद मिल जाये तो जीवन धन्य हो जाता है तो इस असीम आशीष के बलबूते सदर बाजार स्थित विद्यालय में बच्चों को बुलाकर धड़ाधड़ संचालित कर दिया गया जिसकी पोल सोमवार को सुबह 8 बजे खुल गयी,अफरा तफरी मच गई फिलहाल इस नगर में कुछ अवैध न हो,नियमो की धज्जियां न उड़ाई जाएं इसीलिए जिले में अधिकारी तैनात किए गए है लेकिन इन अधिकारियों को सांप क्यों सूंघ गया फिलहाल सत्य असत्य की परिभाषा बताने वाले ये है गिरजाकान्त बुधौलिया,सत्ताधारी पार्टी के नेता हैं और सत्ताधारी पार्टी से रिश्ता ही जन्म-जन्मांतर का है तो कैसे नियम,कैसा कानून और क्या योगी जी का आदेश,क्या वैध- अवैध।गुरु जी पर पार्टी का आशीर्वाद बना रहा और गुरु जी ने नियमों की धज्जियां उड़ा कर रख दीं जो किसी के परिवार की,किसी की जिंदगी की धज्जियां उड़ा सकती थी फिलहाल इस बिल्डिंग का उपयोग तो म्यूजियम चलाने के लिए किया जा रहा था खाली थी तो विद्यालय संचालित कर दिया फिलहाल पत्रकारों के कैमरे चल गए तो बच्चों की कोरोना काल मे जान बच गयी वरना इन्तेजाम पूरा कर रखा था गुरु जी आपने।खैर सूचना मिलने के बाद जिले में तैनात बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी को विद्यालय संचालित करने वाले प्रधानाचार्य पर कार्यवाही करनी चाहिए थी,पूछना चाहिए कि आखिर ये विद्यालय कैसे संचालित हो रहा था लेकिन अधिकारी खामोशी की चादर ओढ़ कर सो गए।

फिलहाल साहेब लोगो को सब पता है लेकिन करना नही चाहते कुछ,बीएसए साहब को सब पता है,पता है उनको की देश कोरोना जैसी महामारी फैली हुई है,पता है उनको कि मुख्यमंत्री का आदेश है विद्यालय बंद रखने का फिलहाल जिनको तैनात किया है जिले में ऐसे विद्यालय संचालित करने वालो के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए वो सरकार पर बोझ है,निकम्मो की फौज है खैर बीएसए साहब का काम सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में कलम चलाना है बस इससे ज्यादा ये न कुछ करते है और न ही कुछ करेंगे।इसी काम के लिए सरकार ने इन्हें भेजा है जनपद जालौन में कि जाओ बुद्ध की नगरी में अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाओ और अब यहां आकर रायता फैला रहे हैं।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि आजतक की सबसे भयंकर महामारी के दौर में जहां केंद्र और राज्य की सभी सरकारें गाइड लाइन के शत प्रतिशत पालन कराने के लिए सड़कों तक पर उतरी हुई हैं। तथा गैर सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर भी सभी को जहां गाइड लाइन का पालन सबसे जहां कराया जा रहा है। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी खास तौर पे बेसिक शिक्षा अधिकारी एवम नगर शिक्षा अधिकारी पूरी तरह से गैर जिम्मेदारी भरे व्यवहार का बेशर्मी पूर्ण उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। बैक डेट 28 अगस्त को मांगा गया स्पस्टीकरण अपने आप मे व्यवस्था को लेके सवालिया निशान लगाता है। यह सब मिलीभगत का खेल है। सरकारी अधिकारियों अब कॉलेज तंत्र पर कठोर कार्यवाही अवश्यम्भावी है। वरना तो कोविड-19 की गाइड लाइनों की सभी एक दूसरे को देखकर धज्जियां उड़ाने लगेंगे और सरकार की कोविड संबंधी कार्य योजना कागजों तक ही सिमट कर रह जायेगी।

संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.

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