कोरोना महामारी के चलते बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव नहीं कराना चाहते विपक्षी दल

राजग का सहयोगी दल लोजपा भी है चुनाव की तिथि बढ़ाने के पक्ष में

कोरोना के साथ साथ बिहार में भयानक बाढ़ की बजह से हुई तबाही को भी चुनाव बढ़ाने के लिए जरूरी मान रहे हैं विपक्षी दल

राज्य चुनाव अधिकारी के माध्यम से केन्द्रीय चुनाव आयोग को दे चुके हैं ज्ञापन

चुनाव आयोग प्रत्येक मतदाता केा खादी का एक मास्क तथा 65 साल से अधिक मतदाताओं को मतपत्र के माध्यम से मतदान कराने का कर रहा है विचार

अनिल शर्मा़+संजय श्रीवास्तव़+डा0 राकेश द्विवेदी

पटना। कोरोना महामारी और भयानक बाढ़ को लेकर प्रदेश के सभी बिरोधी दल तथा राजग के सहयोगी दल लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी आगामी नवंबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ दल राजग के प्रमुख सहयोगी दल लोजपा भी विराधियों के साथ इस मुद्दे पर खुलकर खड़ी है। विरोधी दलों में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एच आर श्रीनिवास के माध्यम से केन्द्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोरा को एक ज्ञापन भेजा है।
इस ज्ञापन में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन झा, लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंची उपेन्द्र कुषवाहा, हिन्दुस्तान आवाम पार्टी (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी, विकासषील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी ने संयुक्त रूप से बिहार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एच आर श्रीनिवास के माध्यम से मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा को कहा है कि बिहार प्रदेश के विधानसभा चुनाव जो माह नवंबर में होना है। लेकिन, पूरे देश और प्रदेश में इस समय कोरोना महामारी का संकट छाया हुआ है। इसके कारण प्रदेश में जहां हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। वहीं लाखों लोग कोरोना महामारी से पीड़ित हैं।
ऐसे में यदि चुनाव होते हैं तो मतदाता जब पोलिंग बूथ पर लाइन में खड़े होकर मतदान के लिए प्रतीक्षा करेगा, उस समय कोरोना महामारी का प्रसार तेजी से बढ़ सकता है। उस समय सोशल डिस्टेंसिंग की प्रक्रिया केा अमल में बहुत ही मुष्किल हो सकता है। क्योंकि लाइन में खड़े मतदाताओं के कपड़े व बदन आपस में छू जाने की पूरी आशंका है। जिससे कोरोना संकट के बढ़ जाने की भी पूरी आशंका है। इसके अलावा विरोधी दलों ने यह भी कहा कि बिहार में कोरोना के इलाज के लिए अस्पतालों में ठीक व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। अस्पतालों में गंदगी का अंबार है। स्टाफ का अभाव है। इसी तरह दवाइयां समुचित रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। जिससे कोरोना पीड़ित तथा उसके परिजन बहुत परेषानी में जी रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में भीषण बाढ़ का कहर जारी है, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। हजारों घर गिर गए हैं तथा लाखों लोगों की गृहस्थी चैपट हो गई है। क्योंकि इस समय बिहार में महान आपत्तिकाल है इसलिए बिहार में विधानसभा चुनाव की तिथियां बढ़ाई जानी चाहिए।
उधर सीपीआइ के राज्य नेता कह्नैया कुमार, सीपीएम के नेता अवधेष कुमार, माले, रिवोल्यूषनरी सोषलिस्ट पार्टी और आल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक के नेताओं ने राज्य में ऐसी खराब परिस्थितियों में आगामी नवंबर माह में विधानसभा चुनाव न कराने तथा तारीखें आगे बढ़ाने की मांग चुनाव आयुक्त से की है। सबसे हैरानी भरी बात है कि लोकतांत्रिक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी कोरोना महामारी और बाढ़ के कारण प्रदेष की ऐसी खराब स्थितियों में नवंबर 2020 में चुनाव न कराए जाने की मांग की है। उधर केन्द्रीय चुनाव आयोग ने बिहार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एस आर श्रीनिवास की भेजी गई राज्य चुनाव से संबंधित रिपोर्ट को देख लिया है।
केन्द्रीय चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी को देखते हुए तथा बाढ़ की विभीषिका को भी देखते हुए प्रदेष में और ज्यादा पोलिंग बूथ बनाने के निर्देष दिए हैं, ताकि मतदाता केा ज्यादा दूर तक न जाना पड़े। इसके अलावा प्रत्येक मतदाता को खादी के मास्क देने की बात कही है तथा 65 साल और उससे अधिक उम्र वाले मतदाताओं को मतदान में मतपत्र के माध्यम से वोट डालने की सुविधा पर गहनता से विचार कर रही है। ताकि बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान करने में समस्या का सामना न करना पड़े। लेकिन समूचे विरोधी दल और राजग के सहयोगी लोजपा के चुनाव नवंबर में न कराने के लिए अड़ जाने के कारण चुनाव आयोग भी बीच का रास्ता निकालने में जुटा हुआ है। ताकि सभी दल बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों केा लेकर एकमत हो सकें।

संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.

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