क्यों जरूरी है वन नेशन वन एजुकेशन- दद्दू प्रसाद

पूर्व काबीना मंत्री दद्दू प्रसाद एवं बाबू रामाधीन(बाएं)।
जालौन 2 सितंबर 2020। सामाजिक परिवर्तन मिशन के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश शासन दद्दू प्रसाद आज अंबेडकरवादी चिंतक बाबू रामाधीन से वन नेशन वन एजुकेशन विषय पर मंथन करने के लिए उरई में उनके आवास में आए. इस दौरान यंग भारत ने उनसे विशेष भेंटवार्ता की.
प्रश्न द यंग भारत-दद्दू प्रसाद जी देश में अमीरों एवं गरीबों के बच्चों के शिक्षा पद्धति एक जैसी होनी चाहिए इसके लिए आपने यह जो सामाजिक परिवर्तन मिशन के माध्यम से देशभर में जो वन नेशन वन एजुकेशन की अलख जगा रहे हैं वह क्या है?
दद्दू प्रसाद-भारत में सन 1848 में सभी के लिए शिक्षा नारी और पुरुष दोनों शिक्षा का जो प्रादुर भाव हुआ. तब से लगातार यह बातें सोची जा रही हैं की शिक्षा दुनिया में जितनी सम्पदा हैं उसका उदगम शिक्षा ही है. इसलिए सभी को शिक्षा एक समान मिले इसलिए बाबासाहेब आंबेडकर ने भारत के संविधान में इस बात का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 21 मैं किया था. जो मूल अधिकार श्रेणी में उल्लेखित है 6 से 14 वर्ष के बालक बालिकाओं को एक समान शिक्षा दी जानी चाहिए लेकिन सरकार डरी हुई है दोहरी शिक्षा लागू कर दी गई. जिसके कारण अमीर का बेटा जवाहर नवोदय केंद्रीय विद्यालय कॉन्वेंट एजुकेशन नर्सरी पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं. जबकि देश के 80 प्रतिशत गरीब बच्चे प्राइमरी पाठशाला में पढ़ते हैं. सरकार ने शिक्षा की जगह भोजन रख दिया जिसके कारण मिड डे मील खाओ थाली बजाओ घर जाओ यह शुरू हो गया. यह एक षड्यंत्र है साजिश है गरीबों को अच्छी शिक्षा से वंचित करने के लिए. एक सवाल के जवाब में श्री दद्दू प्रसाद ने कहा की प्राइमरी स्कूलों का चाहे प्रबंधक हो चाहे कोई रसूखदार व्यक्ति हो चाहे बीआईपी व्यक्ति हो उन सब के बच्चे कान्वेंट और पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं और जहां शिक्षा में कोई क्वालिटी नहीं है. ऐसे गरीबों के बच्चे प्राइमरी पाठशाला में पढ़ते हैं उन्होंने कहा शिक्षा मंत्रालय ने एक और आर्डर किया है कि एक से कक्षा 8 तक की परीक्षा में किसी को फेल ना किया जाए. इसका कारण यह हुआ कि हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षाओं में बच्चे धड़ाम धड़ाम फेल होने लगे तब शिक्षा मंत्रालय ने एक और नई नीति बनाई की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाओं में ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दिया गया. जिससे बच्चे फेल ना हो लेकिन इसका सबसे बुरा परिणाम यह हुआ कि वह जब नौकरी के लिए वह जाता क्योंकि उन्हें क्वालिटी एजुकेशन नहीं दी गई थी तो कंपटीशन की परीक्षा में चाहे कान्वेंट स्कूल के छात्र हो या प्राइमरी पाठशाला से पढ़ कर निकले छात्र हूं. दोनों के लिए नौकरियों में प्रश्न पत्र एक है जिसके कारण यह प्राइमरी पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चे उन नौकरियों के कंपटीशन में सफल नहीं हो पाते और जीवन की परीक्षा में बार-बार फेल हो जाते हैं. इसलिए हम जिलों जिलों में देश भर में घूम-घूम कर देश के महामहिम राष्ट्रपति को और प्रधानमंत्री यह ज्ञापन भेज रहे हैं कि गरीबों और अमीरों के बच्चों की एक सी शिक्षा होनी चाहिए. भारत के संविधान में अनुच्छेद 21 के आलोक में राष्ट्रपति महोदय और सरकार को सरकार को दोहरी शिक्षा पद्धति समाप्त कर देनी चाहिए उन्होंने कहा कि आज देश की शिक्षा के लिए 3% का बजट है. इसे बढ़ाकर 25% किया जाना चाहिए एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय संयोजक दद्दू प्रसाद ने कहा कि देश में आज सिर्फ आज 600 जवाहर नवोदय विद्यालय हैंजबकि देश में बच्चों की जनसंख्या को देखते हुए छह लाख जवाहर नवोदय विद्यालय होने चाहिए क्योंकि जवाहर नवोदय विद्यालय का प्रबंधन तंत्र यह कहता है कि जो बच्चे कंपटीशन पास कर लेंगे उनका एडमिशन होगा जब विद्यालय ही कम होंगे तो निश्चित तौर पर कंपटीशन भी कम होगा जब देश में छह लाख जवाहर नवोदय विद्यालय खुल जाएंगे तो फिर कोई भी गरीब के बच्चे एडमिशन ना मिले ऐसा नहीं होगा उन्होंने कहा कि हम अगर मजबूत देश बनाना चाहते हैं अच्छे आईएएस आईपीएस आईएफएस इंजीनियर डॉक्टर वैज्ञानिक बनाना चाहते हैं तो हमें देश में एक समान शिक्षा पद्धति लागू करना ही होगी जिस दिन हम ऎसा कर लेंगे हमारे देश में जातिवाद आर्थिकतथा देश से प्रतिभा का पलायन रुक जाएगा हमें एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए वन नेशन वन एजुकेशन की सख्त जरूरत है। इस दौरान द यंग भारत के प्रधान संपादक संजय श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश द्विवेदी, आंचल शर्मा राहुल दुबे ,बृजमोहन निरंजन विकास गुप्ता, सुधीर राणा आशुतोष उपाध्याय,शिवम गुप्ता, आदि उपस्थित रहे.
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
सुझाव एवम शिकायत- प्रधानसम्पादक 9415055318(W), 8887963126