गंबूसिया मछली करेगी जीका का खात्मा:एयरफोर्स स्टेशन में पानी के टैंक में मच्छरों के म्यूटेशन की संभावना, अब तक एक्टिव केस 36

कानपुर: में बुधवार को जीका के 25 नए मामले सामने आने के बाद हेत्थ डिपार्टमेंट एक्टिव मोड में आ गया है। इसके लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जा रहे हैं। वायरस के फैलाव को रोकने के लिए अब मछलियों का सहारा लिया जा रहा है। जांच टीम ने एयरफोर्स स्टेशन के अंदर बने पानी के बड़े-बड़े टैंक में मच्छरों के म्यूटेशन की आशंका है। जिस वजह से इसमें अब गंबूसिया मछियों को छोड़ा जाएगा। जो लार्वा खाने में एक्सपर्ट मानी जाती हैं। बता दें कि इस समय कुल संक्रमित रोगियों की संख्या 36 हो गई है।
एयरफोर्स ने मांगी मछलियां
सुरक्षा की दृष्टि से एयरफोर्स स्टेशन के अंदर 5 से 6 पानी के बड़े टैंक बने हैं। सर्वे में इन टैंक में मच्छरों के म्यूटेशन की आशंका जताई गई थी। क्योंकि शुरुआती जीका के 4 केसेस में एयरफोर्स कर्मी ही संक्रमित पाए गए थे। ऐसे में अब नगर निगम से गंबूसिया मछली टैंक में छोड़े जाने के लिए मांगी हैं।
मछलियों का पंसदीदा भोजन लार्वा
बीते दिनों डेंगू और मलेरिया को खत्म करने के लिए बड़ी मात्रा में गंबूसिया मछलियां मोतीझील में छोड़ी गई थी। क्योंकि जीका भी एडीज मच्छरों के काटने से होता है। ऐसे में पानी में पनप रहे लार्वा के खत्म होने के साथ ही मच्छर के पनपने की आशंका कम हो जाएगी। इन मछलियों का पंसदीदा भोजन लार्वा होता है।
बेहद कारगर है ये मछली
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमित सिंह के मुताबिक गंबूसिया मछली एक दिन में 300 तक लार्वा खा सकने में सक्षम है। मछलियों की ग्रोथ भी काफी तेज 3 से 6 महीने में हो जाती है। ये मछली एक दिन में करीब 50 से 200 अंडे तक दे सकती है। एक मछली करीब 4 साल तक जिंदा रह सकती है।
हेल्थ वर्कर भी हो गए संक्रमित
परदेवनपुरवा, हरजेंद्र नगर, पोखरपुर, शिवकटरा और जाजमऊ में रोगियों की पहचान के लिए हेल्थ वर्कर की टीमों को लगाया गया है। मंगलवार को आई रिपोर्ट में 3 हेल्थ वर्कर भी जीका से संक्रमित मिले। वहीं, अभी तक जीका वायरस कानपुर में कहां से आया, इसके सोर्स का पता नहीं चल सका है। डीएम विशाख जी ने अपील की है कि घरों में कहीं भीं साफ पानी एकत्रित न हो, इसका सभी ख्याल रखें। सोर्स रिडक्शन की कार्यवाही को तेजी से करने के निर्देश दिए।
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