घरार नदी की प्रेरणा से शासन ने बुंदेलखंड में शुरू किया अन्य सूखी नदियों के पुनर्जीवन का अभियान

कनेरा नदी का होगा पुर्नरुद्धार
श्रमदानियों को भागीरथ की तरह मानने लगे मुख्यमंत्री
अन्य सूखी नदियों के संबंध में झाँसी प्रशासन भी हुआ सक्रिय
अनिल शर्मा+संजय श्रीवास्तव+डॉ. राकेश द्विवेदी
झाँसी: प्रवासी मजदूरों द्वारा पिछले दिनों बाँदा जिले के भांवरपुर में एक दशक से सूखी पड़ी घरार नदी को अपने अथक श्रमदान से पुनर्जीवित किया है। वह बुंदेलखंड में सुखी पड़ी नदियों के पुनर्जीवन के लिए एक लाइटहाउस बन गया है। झाँसी जिले में कनेरा नाम की यह नदी 30 किलोमीटर लंबी है। जो मिलेट्री के चांदमारी वाले पहाड़ी क्षेत्र से निकलती है। इस नदी के किनारे सरवां, भडरा, टूका, बैदोरा, पथरवारा जैसे एक दर्जन गांव से होकर बहती हुई, चंदावनी गांव के पास घुरारी नदी से मिलती है। इस नदी पर विभिन्न योजनाओं से 07 चैक डैम बनाये गए। जिसमे वर्तमान में चार टूटे हैं, तीन ही काम कर रहे हैं। आज जिलाधिकारी झाँसी आंद्रा वामसी के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट संजीव मौर्या, एपीओ साहिल सिद्दीकी, जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह के साथ नदी किनारे पहुंचे तो लोगों ने बताया कि आज से दो दशक पहले ये नदी पूरे साल बहती थी। बड़े पैमाने पर कनेरा नदी के किनारे लोग सब्जी का उत्पादन करते थे। यह नदी स्थानीय लोगों के लिए सिंचाई के साथ-साथ नहाने और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए मददगार थी। सरवां गांव के सुदामा गुप्ता बताते हैं जबसे नदी में चैक डैम बने हैं उसके बाद से इस नदी के जलस्रोत बन्द हो गए हैं। चैक डेमो में पानी तो भरने लगा लेकिन नदी का प्रभाव रुक गया। चैक डैमो के कारण बड़े पैमाने पर नदी में गाद(सिल्ट) जमा हो गयी है। जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने मनरेगा के माध्यम से कुशी नगर जिले में जब वो डीएम थे वहां पर उन्होंने हिरनावती नदी को पुनर्जीवित किया था। जो एक मॉडल बन गया है। वो इसी तरह से झाँसी में भी कनेरा नदी को पुनर्जीवित करके एक और मॉडल बनाना चाहते हैं। इसी के चलते यहां इस टीम को भेजकर वे निरीक्षण करवा रहे हैं। डीएम ने आईएएस युवा अधिकारी जॉइंट मजिस्ट्रेट संजीव मौर्या को जिम्मेदारी दी है। इस काम मे उनका साथ परमार्थ समाजसेवी संस्थान, जल सहेलियां अपना सहयोग देंगी। जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक ने जॉइंट मजिस्ट्रेट तथा पूरी टीम को यह बताया कि पिछले एक वर्ष से स्थानीय समुदाय इस नदी के पुनर्जीवन के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहा था। अब इस प्रयास को स्थानीय प्रशासन का सहयोग मिला है। बुंदेलखंड में झाँसी का बबीना ब्लॉक जल संकट ग्रस्त ब्लॉक है। इस विकास खंड में भूगर्भीय जल का स्तर बहुत नीचे है। पठारी क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में पेयजल की समस्या हमेशा बनी रहती है। सिचाई के संसाधनों का भी यहां अभाव है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार कहते हैं कि प्रवासी मजदूर, स्थानीय मजदूर और हजारों की संख्या में श्रमदानी लोग कनेरा नदी के पुनर्जीवन के काम मे काम शुरू होते ही जुड़ जाएंगे। ग्राम खजराहा बुजुर्ग की जल सहेली मीरा देवी कहती हैं कि अगर नदी पुनर्जीवित होक बहने लगी तो गांव में फिर से खुशहाली लौट आएगी। नदी के पुनर्जीवन से इस इलाके में जलस्तर में व्रद्धि होगी। जिससे जल संकट कम होगा और सिचाई के संसाधनों में व्रद्धि होगी। उधर टीम का नेतृत्व कर रहे संजीव मौर्या ने ग्रामीणों को बताया कि इसका डीपीआर शीघ्र बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं। जिलाधिकारी ने कनेरा नदी के पुनर्जीवन के लिए मनरेगा के फण्ड से इस नदी का पुनर्जीवन का कार्य करने तथा आवश्यकता पड़ने पर दूसरे मदों से भी धनराशि तय की जाएगी। इसके लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है। शीघ्र ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी। जिसमें सिचाई, ग्राम विकास, वन विभाग, भूमि संरक्षण विभागों के भी अधिकारी शामिल रहेंगे। जबसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमदानियों को भागीरथ का नाम दिया है तबसे पूरे बुंदेलखंड के श्रमदानियों में खुशी की लहर दौड़ गयी है। फिर चाहे वो प्रवासी मजदूर हो या गांव का ग्रामीण हो या शहरों के समाजसेवी हों। वे नदियों के पुनर्जीवन के होने वाले कार्य मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए लालायित दिख रहे हैं। झाँसी जिले के डीएम तथा उनके अधिनस्त अधिकारी जिले की सूखी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत सक्रिय हो गए हैं।
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