चोरी के मोबाइल को बेचने का बदला तरीका, हाईटेक हो गए चोर-लुटेरे

मेरठ: मोबाइल लूट और स्नेचिंग करने वाले चोर-बदमाश अब सयाने हो गए हैं। पुलिस सर्विलांस के जरिये इन अपराधियों को पकड़ लेती है, इसलिए अब न तो मोबाइल चला रहे हैं और न ही इनकी आईएमईआई नंबर बदलने का काम किया जा रहा है। इन मोबाइन फोन को या तो देश से बाहर सप्लाई कर दिया जाता है या फिर इनके पार्ट्स को अलग करके बेच दिया जाता है। ऐसे में एक तरह से पुलिस को चकमा देने की तरकीब बदमाशों ने निकली है।
मोबाइल लूट या चोरी हो जाने के बाद सबसे पहले पुलिस इन मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर को सर्विलांस की मदद से खोजने का प्रयास करती है। अब सर्विलांस की निगरानी के बारे में हर अपराधी को जानकारी हो गई है, इसलिए इस तरह के गिरोह भी सयाने हो गए हैं। ये गिरोह न तो मोबाइल लूट के बाद चलाते हैं और न ही इनके आईएमईआई नंबर को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। सीधे ही इन फोन के पुर्जे पुर्जे अलग करके इन्हें देश के बाहर या देश में ही कुछ बाकी गिरोह को सप्लाई कर दिया जाता है। इसके बाद इन मोबाइल फोन के चिप, मदर बोर्ड और स्क्रीन फोल्डर से लेकर बाकी सामान को दुकानों पर सप्लाई कराया जाता है। ऐसे में पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगता।
जब पकड़ा गया था शरद का गैंग
मेरठ में शरद गोस्वामी गैंग का वर्ष 2019 में खुलासा किया गया था। इस दौरान शरद और उसके गिरोह के सदस्यों से कई मोबाइल बरामद किए थे। खुलासा हुआ था कि शरद गैंग चोरी और लूट के मोबाइल फोन को यहां से नेपाल सप्लाई कर रहा था। इन मोबाइल को इसके बाद सिंगापुर और मलेशिया भेजा जा रहा था। पुलिस ने हाल ही में शरद की करीब 40 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी को गैंगस्टर में कुर्क किया है।
आईएमईआई नंबर बदलने का भी खेल
कुछ दिनों तक मोबाइल के आईएमईआई नंबर बदलने का काम धड़ल्ले से किया जाता था। मोबाइल रिपेयरिंग करने वाले कुछ दुकानदारों ने चाइना की एक मशीन की मदद से चोरी के मोबाइलों के ईएमईआई नंबर बदलने का खूब काम किया। इस दौरान पुलिस ने धड़ाधड़ गिरफ्तारी भी की और कई बड़े मामलों में खुलासा भी हुआ। पुलिस अपने साफ्टवेयर की मदद से यह पता लगा लेती थी कि रिकवर किए गए मोबाइल फोन की असली आईएमईआई नंबर क्या है। ऐसे में अब इस तकनीक को मोबाइल लुटेरों ने कम इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
अनित कुमारएसपी क्राइम बताते हैं कि लूट और चोरी किए मोबाइल को कई गैंग देश से बाहर सप्लाई कर देते हैं। कुछ गिरोह देश में ही मोबाइल को अलग-अलग करके उनके सामान बेच देते हैं। इसलिए मोबाइल रिकवरी में कमी आई है। इस तरह के गिरोह को चिह्नित करते हुए कार्रवाई की जा रही है।
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