गौरतलब है कि एसपी सुप्रीमो ने अपने एक बयान में मोहम्मद अली जिन्ना की तुलना महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महापुरुषों से कर दी थी. जबकि जिन्ना को देश के विभाजन का खलनायक माना जाता रहा है. इसी बात को लेकर सत्ताधारी बीजेपी उनपर हमलावर है. जिन्ना को लेकर यूपी की सियासत का तब और पारा और चढ़ गया, जब अखिलेश पत्रकारों से बातचीत में बीजेपी को ही नसीहत देते दिखे कि उन्हें किताबें पढ़नी चाहिए. अगर वो किताबें पढ़ेंगे, तो उन्हें खुद ही पता चल जाएगा. फिर क्या था बीजेपी को बैठे-बिठाए एक और चुनावी मुद्दा एसपी सुप्रीमो ने थमा दिया. जो अब यूपी की सियासत का पारा और बढ़ा रहा है.
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