जिलाधिकारी के आदेश के बाद भू-माफियाओं में मचा हड़कंप

कुछ अधिकारियों के हाथ पांव फूले

उरई(जालौन)। शहर भर में भू-माफिया किस कदर सक्रिय हैं इस बात का अंदाजा जलील मंसूरी मुम्बई के प्रकरण से ही लगाया जा सकता है । कि जिसमें कुछ अधिकारियों द्वारा वगैर सूचना के लैण्ड पर जाकर धवस्तीकरण की कार्यवाही कर दी जाती है । जिसकी जमीन है उसको बताना भी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं समझता । गौरतलब हो कि 2006 में खरीदी गई आराजी को 2014 में पूर्व जिलाधिकारी राम गणेश के समय आराजी की माप के लिये पाँच सदस्यीय राजस्व टीम गठित करके उक्त आराजी को वैद्य करार कर दिया जाता है फिर भी कुछ प्रशासनिक अधिकारी उक्त आराजी को अवैध घोषित करने में लगे हुये हैं । और 1901 के नक्शे को भी दरकिनार करते हुये अपने हिसाब से नाप करके उक्त आराजी के पास से निकले नाले को सीधा जलील मंसूरी की आराजी में रखते हुये वहां उक्त नाले की रेखायें बना दीं जाती हैं एवं उक्त आराजी में बने मकान को भी वगैर नोटिस के ढहा दिया जाता है । अब जब आराजी मालिक ने अपनी कार्यवाही को अंजाम देना शुरू कर दिया आरै जिलाधिकारी मन्नान अख्तर द्वारा उक्त आराजी की जांच के आदेश दिये तो धीरे-धीरे तथाकथित भू-माफियाओं उजागर होने लगे हैं ।
जलील मंसूरी मुम्बई एक ऐसा व्यक्त्तिव है जिसे हर आम गरीब और जरूरतमंद अच्छे से जानता है । वैश्विक महामारी कोरोना में इसी इंन्सान ने अपनी इंन्सानियत को जिन्दा रखते हुये शहर भर के गरीबों के घरों के चूल्हे रौशन कर उन्हें जीने का सम्बल दिया और शासन प्रशासन की भी मदद करते रहते हैं प्रशासन आज उसी व्यक्ति को अगर वगैर किसी कारण के परेशान करता है तो यह निंन्दनीय तो हैं ही साथ ही यह भू-माफियाओं द्वारा रचा गया एक चक्रव्यूह भी है जिसे कुछ राजस्व अधिकारी संचालित कर रहे हैं ।
आराजी नंबर 303 एवं आराजी नंबर 304 अंदर हद नगर पालिका परिषद उरई के मालिक के द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिया जाता है जिस पर कहा जाता है कि नाले की जमीन पर अतिक्रमण किया गया और अधिकारी गणों को गुमराह किया जाता है आनन-फानन बिना कोई नोटिस आराजी नंबर 512 के मालिक को दिया बगैर मौके पर कुछ प्रशासन के अधिकारी पहुंचते हैं आराजी में खड़े हुए मकानों को भी तोड़ देते हैं आराजी के बीच से नाले की रेखाएं तैयार कर देते है नाला आराजी नंबर 512 के नजदीक से बनाया जाता है और इस नाले के बनने से जो अतिरिक्त जमीन निकलती है वह जमीन आराजी नंबर 303 आराजी नंबर 304 जिसका मालिक प्रार्थना पत्र देने वाला व्यक्ति हैं उसको मौके पर अधिक रखवा दिया जाने का प्रयास किया जाता है और यह पूरी कार्रवाई बड़े शीघ्र तरीके से की जाती है इसमें कोई अग्रिम सूचना नहीं दी जाती है आराजी नंबर 512 के मालिक जब अपना पक्ष शासन के समक्ष रखते हैं तो शासन को सच्चाई का पता चलता है और अब जिलाधिकारी द्वारा जांच के आदेश देने के बाद भू-माफियाओं समेत कुछ अधिकारियों के भी हांथ-पांव फूले दिखाई दे रहे हैं ।

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