क्रय केंद्रों में गेहूं की खरीद पर 80 से 125 रुपए प्रति क्विन्टल लिया जा रहा है कमीशन
प्रति 50 किलो की बारी में 250 ग्राम से 500 ग्राम तक किसानों से ज़्यादा लिया जा रहा गेहूं
पूर्व मंत्री हरिओम की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
अनिल शर्मा+संजय श्रीवास्तव+डॉ. राकेश द्विवेदी
उरई: जिले में क्रय केंद्रों पर किसानों के साथ हो रही अवैध वसूली, और निर्धारित मात्रा से प्रति बोरी ज़्यादा गेहूं लेने शिकायत मिलने पर आज द यंग भारत की टीम ने जिले के कई केंद्रों में जाकर इसकी पड़ताल की तो सच्चाई निकालकर सामने आ गई कि क्रय केंद्रों में किसानों के साथ भारी मात्रा में कमीशन बाजी हो रही है। और किसानों से निर्धारित 50 किलो की बारी में 250 से 500 ग्राम गेहूं जबरिया अधिक लिया जा रहा है। यह बात भी खुलकर सामने आ गई कि किसानों से 80 रुपए से 125 रुपए प्रति क्विन्टल तक कमीशन क्रय केंद्रों में लिया जा रहा है। जो किसान कमीशन नहीं देता है क्रय केंद्र वाले अधिकारी और कर्मचारी उसके गेहूं को पतला, कूड़ा करकट मिला हुआ तथा क्वालिटी में कमजोर बताकर उसे खारिज कर देते हैं। लेकिन जो किसान तत्काल अग्रिम कमीशन दे देता है उसका गेहूं आनन फानन में खरीद लिया जाता है। और उस किसान की चेक भी एक सप्ताह के भीतर उसे मिल जाती है। जबकि कमीशन न देने वाले किसान को अपना गेहूं लिए हुए क्रय केंद्रों के सिर्फ चक्कर ही काटते रह जाना पड़ता है।
मालूम हो कि सरकार द्वारा किसान के गेहूं की खरीद का समर्थन मूल्य 1950 रुपए प्रति क्विन्टल रखा गया है। द यंग भारत की टीम ने कल और आज जनपद के विभिन्न क्रय केंद्रों में जाकर जब इसकी पड़ताल की तो सच्चाई खुलकर सामने आ गई। जनपद मुख्यालय उरई में कालपी रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी में टीम पहुंची। जहां पी.सी.एफ, पी.सी.यू, नेफड और यूपी एग्रो द्वारा किसानों का गेहूं खरीदा जा रहा था। इस दौरान किसान मुन्ना सिंह सेंगर मड़ोरा, सुनील शर्मा मगराया, सुन्नु सिंह ककहरा इसके अलावा जिले की अन्य सरकारी क्रय केंद्रों में किसान मंगली तिवारी प्रधान हदरुख, राकेश रेजा जगम्मनपुर, राजकुमार द्विवेदी जगम्मनपुर, कमेलश कुमार निनावली, पंकज त्रिपाठी, दुष्यंत सिंह आदि सहित पचासों किसानों ने द यंग भारत की टीम को कल और आज यह बताया उनके अपने अपने क्षेत्र के क्रय केंद्रों में पी.सी.एफ और पी.सी.यू के अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा किसानों से खुल्लम खुल्ला 80 से 125 रुपए प्रति क्विन्टल के हिसाब से अग्रिम कमीशन लिया जाता है। जो किसान अग्रिम कमीशन नहीं देता उसका गेहूं तरह तरह से खराब बताकर रिजेक्ट कर दिया जाता है। लेकिन जो किसान अग्रिम कमीशन दे देता है उसका गेहूं फटा फट खरीद लिया जाता है और उसका एक सप्ताह के भीतर ही उसे चेक भी मिल जाता है। किसानों ने बताया जो किसान कमीशन नहीं देता है पहले तो उसका गेहूं ही नहीं खरीदा जाता। व्यर्थ में उसे कई बार क्रय केंद्रों में दौड़ाया जाता है। अगर किसी तरह खरीद भी लिया गया तो उसे महीने भर से ज़्यादा चेक के लिए चक्कर लगाना होता है। किसानों ने बताया ज़्यादातर किसानों को ग्रहस्ती के कामो के लिए पैसे की जरूरत होती है। इसलिए वे ज्यादा झंझट में न पड़ के अग्रिम कमीशन देने को मजबूर हो जाते हैं। किसानों ने यह भी बताया कि वो चाहे जिस क्रय केंद्र में जाएं जब उनकी ट्रैक्टर ट्रॉली से गेहूं क्रय केंद्र में उतारा जाता है और क्रय केंद्र के कर्मचारियों द्वारा 50-50 किलो की बोरियां बनाकर गेहूं को जब कांटे पर तौला जाता है। तो तुलने के बाद किसानों के क्रय केंद्र में पड़े गेहूं से कर्मचारी 250 से 500 ग्राम गेहूं उस तुली हुई बोरी में ज्यादा डाल लेते हैं। और किसान इस खुली लूट के खिलाफ मन मसोस कर रह जाता है। इस संदर्भ में द यंग भारत की टीम को जब ये जानकारी हुई कि पूर्व मंत्री हरिओम उपाध्याय ने इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है तो द यंग भारत ने पूर्व मंत्री श्री उपाध्याय से आज उनके घर पे मुलाकात की। श्री उपाध्याय ने बताया कि उन्हें पिछले कई दिनों से यह जानकारी मिल रही थी कि किसानों से जिले के विभिन्न सरकारी क्रय केंद्रों में 80 से 125 रुपए प्रति क्विन्टल के हिसाब से अग्रिम कमीशन के रूप में अवैध वसूली की जा रही है। इतना ही नहीं क्रय केंद्रों पर किसानों से प्रति 50 किलो की बारी पर 250 से 500 ग्राम तक ज्यादा गेहूं जबरिया लिया जा रहा है। यानी प्रति एक क्विन्टल पर एक किलो गेहूं। किसानों के साथ क्रय केंद्रों के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा की जरी खुली लूट के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया और उन्होंने इसकी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में बीती 03/06/2020 को की और उन्हें कल शाम मुख्यमंत्री कार्यालय से यह जानकारी मिली कि मुख्यमंत्री ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। पूर्व मंत्री श्री उपाध्याय ने कहा कि अब पीड़ित किसानों को चाहिए कि जब कोई जांच टीम उनके क्षेत्र में आये तो वे विभिन्न क्रय केंद्रों के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा जो अवैध वसूली किसानों से की जा रही है। उसकी सही सही जानकारी जांच टीम को दें। तथा उस टीम को पीड़ित किसान यह भी बताएं कि प्रत्येक 50 किलो की बारी में कैसे उनसे 250 से 500 ग्राम तक गेहूं उनसे जबरिया लिया जा रहा है।