उरई : जिला जेल में पहली बार जेल अधीक्षक बनकर आई सीताराम शर्मा ने बंदियों पर कुछ ऐसे संस्कार डलवाए की सभी बंधुओं ने जेल मैं नशा करना छोड़ दिया है ।बंदियों ने यह भी शपथ ली है कि वे जेल से बाहर जाकर किसी भी किस्म का कोई अपराध नहीं करेंगे । इनमें लूट डकैती चोरी बलात्कार के मामलों के आरोपी वाह सजायाफ्ता भी हैं ।
मालूम हो कि जेल अधीक्षक के रूप में जालौन जिले की जिला जेल जो जनपद मुख्यालय उरई में स्थित है इसमें कुल बंदियों की संख्या 712 है । 9 जून 2017 में जेल अधीक्षक बनकर पहली तैनाती में युवा सीताराम शर्मा आए ।उन्होंने यह तय कर लिया था कि जेल बंदियों को इतना स्नेह देंगे और ऐसे संस्कार देंगे कि वह नशा छोड़ दे और जेल से निकलने के बाद कभी दोबारा अपराध करने की ना सोचे ।
इसके लिए सबसे पहले उन्होंने प्रतिदिन बंदियों को बुलाकर मुलाकात करनी शुरू की और उनके बारे में उनके परिवार के बारे में तथा उनकी पृष्ठभूमि और वह कैसे जेल तक पहुंचे इसकी विस्तृत जानकारी ली । इसके बाद उन्होंने पहले सभी बंधुओं को प्रातः 6:00 प्रार्थना करवाना शुरू की प्रार्थना `ऐसी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना ‘शुरू करवाई इसके साथ ही 1 घंटे तक प्रत्येक कैदी को योग व्यायाम प्राणायाम और ध्यान करने का प्रशिक्षण पतंजलि श्री श्री रविशंकर ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विद्यालय प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण दिलवाया । इसी दौरान श्रीमद्भागवत और धार्मिक कीर्तन और संगीत के कार्यक्रम भी करवाएं इस काम के लिए उन्होंने बाहर के भागवताचार्य तथा संगीत पार्टियों को भी बुलवाया। फिर बंदियों के बीच से ही भागवत कहने वाले और उसमें रुचि रहने वाले बंदी आनंद पांडे को तैयार किया । अब जेल में आनंद पांडे भगवत आचार्य के रूप में प्रसिद्ध है और वही भागवत पर प्रवचन करते हैं इसी तरह बंदियों की दो कीर्तन मंडलीया तैयार की। इनमें हुई प्रतियोगिताओं में जिलाधिकारी मन्नान अख्तर, जिला जज अशोक कुमार सिंह ,पुलिस अधीक्षक डॉ सतीश कुमार से उन्हें सम्मानित करवाया तथा प्रमाण पत्र भी दिलवाए जिससे बंदियों में उत्साह कई गुना बढ़ गया ।
इसी तरह बंदियों को पढ़ने के लिए धार्मिक और साहित्यिक पुस्तकें उपलब्ध करवाएं इसके लिए उन्होंने जेल में ही एक पुस्तकालय का बनवाया। जिसमें ढाई हजार से अधिक धार्मिक एवं साहित्यिक पुस्तकें उपलब्ध हैं इन्हें बंदी ईशु कराते हैं और 7 दिन पढ़ने के बाद उन्हें वापस पुस्तकालय में जमा करते हैं । इतना ही नहीं जेल में रस्साकशी खो-खो कबड्डी वॉलीबॉल आदि प्रतियोगिताएं कराते हैं इसको ओलंपियाड का नाम देते हैं इनमें हिस्सा लेकर के बंदियों में जहां खेलों के प्रति अभिरुचि पैदा होती है वही उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है ।यंग भारत द्वारा पूछे जाने पर की इन बंदियों के मन और मस्तिष्क में बयार की लहर पैदा करने के लिए आपने क्या किया ?
इस पर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा कहते हैं कि मेरी इच्छा थी कि बंदियों को कैसे नशे और अपराध से कैसे दूर रख सकूं । आज अपनी तैनाती के 3 साल बाद जब मैं इन बंदियों में बदलाव को देखता हूं उनका मजबूत संकल्प देखता हूं तब ईश्वर को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं । यहां के जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर जिला, जज अशोक कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक डॉ सतीश कुमार को भी बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं जिन्होंने बंदियों को अच्छे रास्ते पर लाने के लिए हर संभव सहयोग दिया। जेल अधीक्षक श्री शर्मा कहते हैं अब जेल में कोई नशा नहीं करता है ।उनके सद्गुणों का प्रभाव बढ़ा है । इसके कारण बंदियों ने यह संकल्प लिया है वह जेल से बाहर जाकर अपराध की तरफ कभी नहीं जाएंगे ना ही किसी किस्म का नशा करेंगे श्री शर्मा ने कहा इसे मैं अपने जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि मानता हूं जेल अधीक्षक के रूप में उरई जेल में आना मेरे जीवन का सार्थक हो जाने देता है।