दारोगा की मनमानी से 6 महीने तक जेल में रहे दंपति, मानवाधिकार आयोग ने सरकार को दिया मुआवजे का आदेश

हत्या के मामले में निर्दोष पति-पत्नी को जेल भेजने और एसपी के आदेश के बावजूद दोनों की रिहाई के लिए अदालत में आवेदन नहीं देने के मामले में बिहार मानवाधिकार आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। मोतिहारी से जुड़े इस मामले में आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने पीड़ितों को संयुक्त रूप से 2 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।
जनवरी 2012 में मोतिहारी के चकिया थाने में दर्ज केस
ट्रक चालक अवधेश कुमार की हत्या कर ट्रक लूटे जाने से संबंधित मामला जनवरी 2012 में मोतिहारी के चकिया थाने में दर्ज किया गया था। जांच के बाद पुलिस ने पांच व्यक्तियों के विरुद्ध मामला सत्य पाया। इसमें भोला कुमार और योगेन्द्र सहनी ने पूछताछ के दौरान हीरा सहनी का नाम लिया। कांड के अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर विनय कुमार सिंह (वर्तमान में इंस्पेक्टर, मुंगेर जिला बल) ने हीरा सहनी और उसकी पत्नी लक्ष्मी देवी को गिरफ्तार कर 14 दिसम्बर, 2017 को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।
पति-पत्नी निर्दोष पाए गए
अनुसंधान के दौरान बाद में पति-पत्नी निर्दोष पाए गए। इनके विरुद्ध आरोप-पत्र समर्पित नहीं किया गया। योगेन्द्र और हीरा सहनी गोतिया लगते हैं और दोनों के बीच पूर्व से विवाद चल रहा था। इसी को लेकर उसने पति-पत्नी का नाम लिया गया था। एसपी, मोतिहारी ने आईओ को पति-पत्नी को न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त करने के लिए अदालत में आवेदन देने का निर्देश दिया पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। बाद में पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर 11 मई 2018 को दोनों जमानत पर जेल से बाहर आए।
आईओ ने जान-बूझकर मानवाधिकार का उल्लंघन किया
मामला राज्य मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचा। तथ्यों पर गौर करने के बाद आयोग ने माना कि आईओ ने जान-बूझकर पति-पत्नी के मानवाधिकार का उल्लंघन किया। अनावश्यक रूप से उन्हें बगैर किसी ठोस आधार के गिरफ्तार किया गया। मामले की सुनवाई करते हुए आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने राज्य सरकार को पति-पत्नी को आठ सप्ताह के अंदर दो लाख की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया है। सरकार चाहे तो क्षतिपूर्ति राशि की वसूली संबंधित पुलिस पदाधिकारी से कर सकती है।
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