दीपों से जगमग हुई धरती, आसमान में छाई सतरंगी छटा

जिले में धूमधाम से मनाया गया दीपावली का पर्व
घर-घर हुआ लक्ष्मी पूजन, चलाई गई आतिशबाजी
उरई(जालौन)। दीपावली के पर्व पर टिमटिमाते दीपों से जगमगाती धरती और सतरंगी आतिशबाजी की खूबसूरत जुगलबंदी ने शाम होते ही पूरे नगर को रोशन कर दिया। लोगों ने शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी—गणेश की पूजा अर्चना कर एक दूसरे को दीपावली की बधाइयां दीं। रात में बच्चों ने आतिशबाजी का जमकर लुत्फ उठाया। इस बार की खास बात रही कि लोगों ने चाइनीज दियों की जगह हस्तनिर्मित दियों को अधिक तरजीह दी। उरई मुख्यालय सहित पूरे जिले में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। घरों में देवी पूजन के बाद जमकर आतिशबाजी हुई। वहीं इस मौके पर शहर के एेतिहासिक ठड़ेश्वरी हनुमान मंदिर में राम दरबार व हनुमान जी को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया गया।
धनतेरस से शुरू हुआ रोशनी का पर्व दीपावली शनिवार को अपने चरम पर था। खुशी, उल्लास और प्रकाश का पर्व दीपावली नगर व ग्रामीण क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही महिलाआें एवं युवतियों के साथ बच्चों ने अपने घरों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में झालर, फूल, दीये मोमबत्ती आदि से सजावट कर कई प्रकार की आकर्षक रंगोलियां बनाईं। जमीन पर उकेरी गई रंगोली परंपरा के साथ उनकी प्रतिभा का भी परिचय दे रही थीं। किसी ने आेम, स्वास्तिक जैसे मंगल प्रतीकों में रंग भरा तो किसी ने प्रथम पूज्य गणेश व धन व एेश्वर्य की देवी लक्ष्मी के चित्रों को रंगोली में उकेरकर देवी लक्ष्मी को अपने घर व प्रतिष्ठान पर आने का निमंत्रण दिया। दीपावली में नए नए कपड$ों में सजे धजे नन्हे बच्चों का उत्साह भी देखने लायक था। शाम ढलते ही शुभ मुहूर्त में लोगों ने यश, वैभव और धन—धान्य की देवी लक्ष्मी, प्रथम पूज्य गणेश, वीणा वादिनी सरस्वती के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा अर्चना कर अपने परिवार की सुख, समृद्धि की कामना की। इसके बाद लोगों ने बच्चों के साथ फुलझड$ी, अनार, चरखी, रेल, रॉकेट और लड$ी जैसी आतिशबाजी छोड$कर दीवाली का भरपूर लुत्फ उठाया। दीपों व झालरों से झिलमिल के साथ ही आतिशबाजी से निकलने वाली सतरंगी रोशनी से समूचा नगर रोशनी से नहा गया।
खूब बिके मिट्टी के दिए
लोगों के मुताबिक प्रधानमंत्री की मिट्टी के दिये खरीदने की अपील कारगर साबित हुई। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मिट्टी के दिए खरीदने के लिए लोगों को प्रेरित करने का कार्य भी किया गया था। जिसके बाद लोगों ने मिट्टी के दिये बड$ी मात्रा में खरीदे। आमतौर पर बड$ी मात्रा में बच जाने वाले मिट्टी के दिये दोपहर तक बाजार में नजर आने बंद हो गए थे।