दूध से बना गुलाबी हलवा, विदेशों तक महक:हलवाई की एक छोटी सी दुकान में शुरुआत, आज 20 करोड़ सालाना कारोबार, PM मोदी तक मुरीद

यंग भारत ब्यूरो
पाली: कपड़ा नगरी के रूप में फेमस पाली की पहचान यहां बनने वाले एक खास किस्म के हलवे के कारण देश ही नहीं विदेशों तक पहुंच गई है। मारवाड़ में तो पाली का गुलाब हलवा अगर थाली में न हो तो मानो त्योहार अधूरा सा लगता है। केवल दूध और शक्कर से बनने वाले इस हलवे की डिमांड फेस्टिव सीजन में और भी बढ़ जाती है। राजस्थानी जायके की इस कड़ी में आपको बताते हैं कि कैसे एक हलवाई के प्रयोग से बने गुलाब हलवे की महक विदेशों तक पहुंच रही है।
गुलाब हलवे की रेसिपी का सीक्रेट बस इतना सा है कि दूध, शक्कर और थोड़ी सी इलायची के साथ इसे पकाना की टाइमिंग है। इसके स्वाद के पीछे पाली का क्लाइमेट और लोकल कारीगरों का हुनर भी महत्वपूर्ण है। जो भी इसका स्वाद एक बार चख लेता है, खुद को दोबारा टेस्ट करने से नहीं रोक पाता। तभी तो लोगों की जुबान पर चढ़ने वाला गुलाब हलवा आज सालाना 20 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहा है।
पाली के हलवे का इतिहास
करीब 60 वर्ष पहले मूलचंद कास्टिया की शहर के भीतरी बाजार जैन मार्केट के पास मिठाई की दुकान थी। उस समय वहां रबड़ी ही बनती थी। वहां गुलाब पुरी भी काम करते थे। कई बार दूध बच जाता था, जिसके उपयोग के लिए एक दिन उसमें शक्कर डालकर उसे धीमी आंच पर पकाना शुरू किया। जब दूध मावे में बदला तो उसका रंग मेहरून होता गया। इसके बाद उसे ठंडा करने के लिए रख दिया। जब इसे चखा तो उसका स्वाद सबसे अलग और अच्छा लगा। यहीं से गुलाब हलवे के बनने की कहानी शुरू हुई।
इस प्रयोग को कई बार दोहराने के बाद इसका जायका और बढ़ाया गया। मिठाई की दुकान में सजा तो यह हलवा मीठे के दीवानों की पहली पसंद बन गया। बाद में गुलाब पुरी ने अपने नाम से इस हलवे को गुलाब हलवा ब्रांड से बेचना शुरू किया। वहीं मूलचंद कास्टिया के परिवार, जिनकी दुकान में गुलाब पुरी काम करते थे, कास्टिया हलवा के नाम से बेचना शुरू किया। आज अकेले पाली में गुलाब जी, कास्टिया, चेनजी का हलवा इनके नाम से बिक रहा है।
रोजाना बिकता है करीब 2 हजार किलो हलवा
पाली में हलवा बनाने के कारोबार से जुड़े सुरेश पुरी, चेनसिंह और नवीन कास्टिया की माने तो पाली में करीब 15 से ज्यादा लोग अलग-अलग ब्रांड नेम से हलवा बनाकर बेचते हैं। रोजाना करीब 2 हजार किलो हलवा अकेले पाली शहर में ही बिक जाता है। इसे बनाने में लोकल कारीगरों को रखा जाता है, जिन्हें बनाने की तकनीक भी पता होती है। इससे करीब 10 से ज्यादा नामी ब्रांड और प्रत्यक्ष रूप से 500 से ज्यादा कारीगर जुड़े हैं।
कई शहरों में ब्रांच, विदेशों तक पहुंच रहा
पाली का यह हलवा आज जोधपुर से लेकर राजस्थान के कई शहरों की स्वीट शॉप में बिक रहा है। गुलाब पुरी की दूसरी पीढ़ी के सुरेश पुरी बताते हैं कि उनके ब्रांड की पाली और जोधपुर में 10 ब्रांच हैं। फूड चेन के जरिए हलवा देशभर में सप्लाई होता है। साथ ही विदेशों में रहने वाले प्रवासी जब कभी यहां आता हैं वे इसे अपने साथ लेकर जाते हैं।
पीएम मोदी की जुबान पर पाली का गुलाब हलवा
पाली जिले के सुमेरपुर में तीन साल पहले आयोजित एक चुनावी सभा में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक गुलाब हलवे का जिक्र कर चुके हैं। पहली बार गोड़वाड़ी में भाषण के दौरान पीएम मोदी ने यहां की खासियत में गुलाब हलवे की खूब तारीफ की थी।
280 से लेकर 300 रुपए तक कीमत
गुलाब हलवा बनाने में दूध, शक्कर और इलायची का ही उपयोग होता है। सामान्य लागत होने के कारण इसका रिटेल प्राइस भी सामान्य मिठाई के जितना ही है। यही वजह है कि लाजवाब टेस्ट वाले इस हलवे की पहुंच हर आम से लेकर खास की थाली तक है। बाजार में अलग-अलग ब्रांड इसे 280 से 300 रुपए किलो तक बेचते हैं।
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