पुलिस हिरासत में 1888 की हो चुकी है मौत, दोषी महज 26 पुलिसकर्मी

प्रधान सम्पादक-संजय श्रीवास्तव
प्रदेश के कासगंज में अल्ताफ नाम के एक मुस्लिम युवक की पुलिस की कस्टडी में हुई मौत के बाद एक बार फिर से पुलिस पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. अब पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. दरअसल, गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले 20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. हालांकि सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई.
अल्ताफ की मौत के बाद उठे सवाल
एनसीआरबी के ये आंकड़े ऐसे वक्त में आए हैं, जब हाल ही में उत्तर प्रदेश के कासगंज में 22 साल के अल्ताफ नाम के युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. अल्ताफ पर एक नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने का आरोप लगा था, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया था. अल्ताफ के परिजन का आरोप है कि पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने की वजह से उसकी मौत हुई.
वहीं पुलिस के मुताबिक, शौचालय में उसने जैकेट के हुक में लगी डोरी को नल में फंसा कर अपना गला घोंटने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि आरोपी के नहीं लौटने पर पुलिसकर्मी शौचालय गए और वहां उन्होंने अल्ताफ को गंभीर अवस्था में पाया, तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में हुई इस मौत के मामले में विभागीय जांच और मजिस्ट्रेट जांच दोनों जारी है.
2020 में हिरासत में हुई 76 मौतें
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि हिरासत में हुई मौतों के लिए दोषी ठहराए गए 11 पुलिसकर्मियों की सबसे अधिक संख्या 2006 में यूपी में सात और मध्य प्रदेश में चार दोषी पाए गए थे. हालांकि आंकड़ों में ये नहीं बताया गया है कि उन्हें उसी साल सजा दी गई या नहीं. नए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में हिरासत में 76 मौतें हुईं, जिसमें गुजरात में सबसे ज्यादा 15 मौतें हुईं. इस सूची में दूसरे राज्य भी शामिल हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल का नाम है. हालांकि पिछले साल इन मामलों में कोई सजा नहीं हुई.
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि हिरासत में हुई मौतों के लिए दोषी ठहराए गए 11 पुलिसकर्मियों की सबसे अधिक संख्या 2006 में यूपी में सात और मध्य प्रदेश में चार दोषी पाए गए थे. हालांकि आंकड़ों में ये नहीं बताया गया है कि उन्हें उसी साल सजा दी गई या नहीं. नए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में हिरासत में 76 मौतें हुईं, जिसमें गुजरात में सबसे ज्यादा 15 मौतें हुईं. इस सूची में दूसरे राज्य भी शामिल हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल का नाम है. हालांकि पिछले साल इन मामलों में कोई सजा नहीं हुई.