प्यासी पाठा की परियोजनाएं चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

पहुज नदी।

संजय श्रीवास्तव + भगवती मिश्रा

जालौन: पहुंज नदी के पाठ क्षेत्र में आज भी पानी का अकाल है। पहूज नदी के किनारे भूगर्भ जल की पहली सताए तो इतनी ऊपर है कि गोपालपुरा जैसे गांव में जगह-जगह पानी के फव्वारे देखे जा सकते हैं । लेकिन नीचे पथरीली चट्टाने होने के कारण गहराई का स्वच्छ जल खोजना टेढ़ी खीर हो जाता है। कई गांव में आज तक इसी कारण हेडपंप कामयाब नहीं हो पाए हैं। वर्ष 1975 मैं इन्हें चिन्नित कर पाठा छेत्र के नाम से इसके लिए परियोजना शुरू की गई थी जो कालांतर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई आज की सबसे ज्यादा प्रभावित 3 गांव में पानी का संकट बरकरार है जिसका असर जनजीवन की सामान्य दिनचर्या पंग होने के रूप में दिखाई दे रहा है पहुंच के पाठा क्षेत्र में जिन गांवों को शामिल किया गया था उनमें सुपा , नुनयाचा, महोई, गधेला, असेना आदि शामिल है इन क्षेत्रों में नलकूप खुदवा कर टंकी से जोड़ने एवं उसके जरिए पाइप लाइनों से पानी देने का मंसूबा बांधा गया था । परियोजना की लागत 7900000 रुपए अनुमानित की गई थी जोकि तत्कालीन बाजार भाव में काफी महंगी परियोजना थी इतना खर्च होने के बावजूद परियोजना सफल नहीं हो सकी खास बात यह है कि पाइप लाइन बिछाने के लिए 3500000 रुपए अलग से दिया गया था कई बार शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई सिर्फ जांच की बात हुई लेकिन जांच की फाइल कहां है इसका कोई पता नहीं है खास बात यह है कि लोगों की प्यास से जुड़ा मुद्दा होने के बावजूद किसी भी दल ने इसे नहीं उठाया है 8 – 9 साल पहले मीगनी गांव के पूर्व प्रधान राम प्रकाश तिवारी ने गहरे हैंडपंप खुदवाने के काफी प्रयास किया। आज भी उन गांव के हेड पंप से पानी पीने के बाद दांत पीले पड़ जाते हैं ।

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