प्रधानमंत्री योजनाओं में भी अंधेरगर्दी- यंग भारत विशेष

इस ग्राम प्रधान को नेत्रहीन महिला पर भी तरस न आया

ये वो धांधली है जो किसी के रोके नहीं रुक रही

बिना सुविधा शुल्क दिए न तो कालोनी मिलती न शौचालय बन पाता

पैसे न देने पर अब तो प्रधान ने मजदूरी भी नहीं चढ़ाई

अनिल शर्मा + संजय श्रीवास्तव + डॉ. राकेश द्विवेदी

उरई। ग्रामीणों का दर्द बताता है कि स्थिति बहुत खराब है। कुछ प्रधान अच्छे हो सकते हैं पर ज्यादातर का यही हाल है कि वह प्रधानी को अनैतिक कमाई या उगाही का जरिया बनाये हैं। सिर्फ इतना भर नहीं दुखियारों को उत्पीड़न की शिकायत तक नहीं करने दी जाती। उन्हें ‘बाहुबली’ बनकर डराया और धमकाया जाता है। चिंता की बात तो ये है कि पुलिस भी उनके गलत कामों की रखवाली करती दिखती है।
तमाम गांवों से अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहीं कि फलां गाँव का प्रधान इतना लालची या यूं कहें कि भ्रष्ट है कि वह जरूरतमंदों को कॉलोनी दिलाने के नाम पर 20 से 30 हजार रुपये की माँग कर रहा है। इतने रुपये देने भी पड़े। जिन्होंने व्यवस्था पर भरोसा कर न्याय की गुहार लगानी भी चाही तो वह खाली हाथ ही रह गए। कोई काम न आया। प्रधान की रणनीति के आगे सारा सिस्टम पंगु नजर आया।
अब ताजा मामला कदौरा ब्लॉक के ग्राम बारा का सामने आया है। यहाँ प्रधान तो गीता हैं पर प्रधानी घर के पुरुष ही संभालते हैं। गांव में प्रधान के स्तर पर घनघोर धांधली की शिकायत स्वयं भाजपा के सेक्टर संयोजक ने लिखित रूप में उप जिलाधिकारी कालपी की है। एक शपथ पत्र भी दिया गया है जिसमें उन लोगों के हस्ताक्षर हैं जिनके अधिकारों पर इस भ्रष्ट सिस्टम के द्वारा डाका डाला गया है। भदरेखी निवासी विमल सिंह भाजपा के सेक्टर संयोजक के अलावा बजरंगदल के भी प्रखंड संयोजक हैं। गत दिनों वह टीम के साथ बारा में जब सेनेटाइजर बांटने गए तो उन्हें गांव में तरह – तरह की शिकायतें सुनने को मिलीं। ये सारी शिकायतें प्रधान से संबंधित थीं। कई महिलाएं तो विपरीत हालातों से जूझ रहीं हैं। उन्हें नहीं पता कि अपना दर्द किसे बताया जाए ? विमल सिंह को जो शिकायत सुनने को मिली वह यह है कि बिना सुविधा शुल्क के न तो कॉलोनी आवंटन होता है न ही शौचालय का रुपया मिल पाता है। यहाँ तक कि मनरेगा में भी पैसों की मांग होती है। यदि प्रधान को पैसे नहीं मिलते तो जॉब कार्ड में मजदूरी नहीं चढ़ाई जाती। कुल मिलाकर फिप्टी- फिफ्टी का अंक गणित लगाया जाता है। अर्चना नेत्रहीन है। उसने शिकायत करते हुए बताया कि उसे कालोनी नहीं दी गई।। उससे कालोनी देने के बदले 20 हजार मांगे गए थे। कई बार कागज भी सौंपे पर पैसे न दे पाने से उसको कालोनी नहीं मिल पाई। शेखर ने तो भ्रष्टाचार के पैसों में 10 हजार की और वृद्धि कर दी। उसका आरोप है कि कालोनी उसी को मिल पाई है जिसने 20 से 30 हजार रुपये दिए हैं। पहले तो यहां के बीडीसी ने भी हिम्मत दिखाकर वीडियो में इस बात को कबूला कि बिना पैसे लिए कॉलोनी या शौचालय नहीं दिए जाते। फिर वह पता नहीं क्यों वह इससे मुकरने लगे। कई महिलाओं के वीडियो में यह कहते सुना गया कि उनसे मनरेगा की मजदूरी चढ़ाने या शौचालय के लिए पैसे मांगे गए हैं। रूबी, उमादेवी,पिंकी,अर्चना, उर्मिला, जगदीश विशाखा और सर्वेश ने शपथ पत्र में अपने हस्ताक्षर या अंगूठा भी बनाया है। प्रधान द्वारा की जाने वाली तमाम धांधलियों को लेकर यह शिकायत पत्र विमल की ओर से उप जिलाधिकारी कालपी को सौंपा गया है। विमालिस बात से और दुःखी हैं कि वह ग्रामीणों को न्याय दिलाने को बढ़े हैं । सरकार का भी यही उद्देश्य है कि ग्रामीणों को जो सुविधा मिले उसमें पारदर्शिता हो पर पुलिस उन्हीं को हतोत्साहित कर रही है। उससे कहा गया कि वह आसमान पर न उड़कर जमीन पर ही रहें। दरअसल प्रधान के गोरखधंधे को जब सामने लाने का प्रयास हुआ तो उल्टे प्रधान की ओर से पुलिस से शिकायत कर दी गई। पुलिस की तरफदारी से यह युवा नेता और शिक्षक भी अचंभित है।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
सुझाव एवम शिकायत- प्रधानसम्पादक 9415055318(W), 8887963126