बच्चों का भविष्य चौपट मास्टर घर बैठे कर रहे हैं मौज

उरई (जालौन)। जनपद जालौन के विकासखंड माधौगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम गीदन खोद में ज्यादातर प्राथमिक विद्यालय बंद दिखाई देता है ग्रामीणों का कहना है कि गांव में बने प्राथमिक विद्यालय स्कूल बंद पड़ा रहता है जिससे यहां पर पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है इस विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकारी टीचरों की नियुक्ति की गई है लेकिन विद्यालय ज्यादातर बंद पाया जाता है और घर बैठे टीचर सरकारी मोटी रकम का लाभ उठा रहे हैं बच्चों के साथ शिक्षा के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के ऊपर लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं और प्राथमिक विद्यालय में निर्माण कार्य के लिए भी लाखों का बजट तैयार कर भेजा जाता है लेकिन विद्यालय की हालत तो इस प्रकार देखी जाती है कि यह सालों साल पुराना है पैसे का टो इस प्रकार बंदरबांट किया जाता है कि पता ही नहीं चलता है लेकिन जमीनी स्तर पर बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है प्राथमिक विद्यालय में तैनात मास्टर भी खुलेआम प्रशासन की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं कब ऐसे मास्टरों पर प्रशासन का चलेगा सरकारी हंटर यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन हाल में ही बच्चों के साथ जिस प्रकार से दुर्व्यवहार हो रहा है वह साफ साफ नजर आ रहा है कि आए दिन विद्यालय बंद नजर आते हैं प्राथमिक विद्यालय की सूचना किसी भी अधिकारी को कानो कान खबर नहीं लग पाती है इसका पूरा फायदा सरकारी मास्टर घर बैठे उठाते हैं गांव के पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य चौपट होते हुए दिखाई दे रहा है क्योंकि गांव में प्राथमिक विद्यालय तो बना है लेकिन नाम के लिए बना है खुलता तो जब कभी है ग्रामीणों ने बताया है कि हम लोग गरीब मजदूर वर्ग के लोग हैं सरकारी सुविधा को देखते हुए सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराते हैं जिससे उनको सरकारी योजना का लाभ मिले और पढ़ाई लिखाई भी अच्छी तरीके से हो सके लेकिन सरकारी स्कूलों की हालत इस प्रकार की है कि विद्यालय में बच्चे तो आने के लिए तैयार हैं लेकिन टीचर ही गायब रहते हैं तो बच्चों का भविष्य तो साफ-साफ दिखता है कि चौपट हो रहा है सरकारी सैलरी पाने वाले टीचरों के हौसले इतने बुलंद है की बच्चे समय से पहुंचते हैं लेकिन टीचर समय से पहुंचने का नाम ही नहीं लेते हैं और स्कूल की व्यवस्था को देखा जाए तो चारों तरफ गंदगी ही गंदगी दिखाई देती है इसकी आवाज कई बार उठाई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी है जब कोई प्रशासनिक अधिकारी विद्यालय का निरीक्षण करने आता है तो विद्यालय में सारे टीचर उपस्थित होते हैं इसकी सूचना टीचरों को कैसे पड़ जाती है कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ कर्मचारी ही तो जानकारी नहीं देता है लेकिन यह तो विचार करने वाली बात है हाल में जिस प्रकार से बच्चों के साथ धोखा किया जा रहा है वह साफ साफ नजर आ रहा है शिक्षा विभाग के अधिकारी कब ऐसे टीचरों पर कार्रवाई करेंगे प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के पास ना तो कोई सरकारी किताबों का इंतजाम है ना ही उनके पास कोई ड्रेस है जो चाहे जैसे कपड़े पहनकर विद्यालय चले आते हैं सरकार द्वारा बच्चों को पढ़ाई लिखाई के लिए ड्रेस कॉपी किताबें व अन्य चीजें सरकार द्वारा भेजी जाती हैं लेकिन जमीनी स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
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