बिहार में दलितों केा अपने अपने पाले में लाने में जुटे राजद और राजग

16.9 प्रतिशत है दलित और महादलित वोट
जदयू से पूर्व मंत्री व दलित नेता श्याम रजक टूटकर राजद में गए
पूर्व मुख्यमंत्री व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने महागठबंधन छोड़ा
मुख्यमंत्री से नाराज हैं चिराग पासवान
राजग नेता मनाने में जुटे
अनिल शर्मा़+संजय श्रीवास्तव़+डा0 राकेश द्विवेदी
पटना। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद यह है कि अब बिहार विधानसभा के चुनाव अब तय समय पर ही होंगे। यानि अक्टूबर नवंबर 2020 में। बिहार में इस समय सभी दल राजग और राजद दलित वोटों को अपने अपने पाले में लाने के लिए जोड़तोड़ लगा रहे हैं। पिछले दिनों जिस तरह राजग गठबंधन के सबसे बड़े दल जदयू जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नितीश कुमार हैं। उनके दल के मंत्री व दलित नेता श्याम रजक ने जिस तरह से जदयू से मंत्री पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए हैं। इसके बाद पूर्व मंत्री श्याम रजक मुख्यमंत्री नितीश कुमार और सरकार पर हमलावर होकर उसे दलित विरोधी बता रहे हैं।
ऐन विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़े दलित नेता का जनता दल यू और मंत्री पद से इस्तीफा देकर जाना राजग के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राजग में एक समस्या और भी है कि राजग के सहयोगी दल लोजपा बिहार के बड़े दलित नेता चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नितीश कुमार के बीच इन दिनों ठनी हुई है। जिसके कारण इन दिनों राजग के नेताओं की चिन्ता बढ़ गई है। क्योंकि बिहार में राजग के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान का बिहार के दलितों में बहुत प्रभाव है। कुल दलित मतदाताओं की संख्या 16.9 प्रतिषत है। जिनमें से दस प्रतिशत से अधिक मतदाता अकेले पासवान विरादरी के हैं। जिनमें सबसे ज्यादा पकड़ लोजपा के नेता राम विलास पासवान और उनके पुत्र चिराग पासवान की है।
उधर महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के संस्थापक अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तथा उनके पुत्र तेजस्वी यादव जो बिहार विधानसभा में इस समय विरोधी दल के नेता भी हैं, ने मिलकर ऐसी रणनीति बनाई है, कि राजग के सहयोगी दल लोजपा के दलित वोट बैंक में कैसे सेंध लगाई जाय, इसके लिए राजग के दलित नेता और पूर्व विधानसभा सभापति उदय नारायण चैधरी, पूर्व मंत्री रमई राम तथा जदयू को छोड़कर हालही में राजद में शामिल हुए पूर्व मंत्री श्याम रजक तीन सदस्यीय ऐसी टीम बनाई है। जो प्रदेश में नितीश सरकार में दलितों पर बढ़े अत्याचार को मुद्दा बनाकर दलितों को लामबंद कर रहे हैं।
इन दलित नेताओं का आरोप है कि 2005 में बिहार में दलित पर अत्याचार का प्रतिशत 5 था। जो अब बढ़कर 17 प्रतिशत से अधिक हो गया है। जो दलितों में एक नाराजगी पैदा कर रहा है। वहीं राजद के लिए राहत की बात यह है कि अभी हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हो गए हैं। उनकी महादलितों में अच्छी पकड़ मानी जा रही है। विधानसभा चुनाव के पहले हम पार्टी का महागठबंधन से अलग होना राजग के लिए फायदेमंद रहने वाला है। यदि वे राजग गठबंधन में शामिल न भी हुए तो भी वे राजद के दलित वोटों को काटेंगे। इसमें दो राह नही है। वैसे बिहार में राजद और राजग दोनेां के लिए बसपा आगामी विधानसभा चुनाव में खतरे की घण्टी बनकर आ रही है।
बसपा सुप्रीमो मायाबती ने जिस तरह से बिहार विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने की घोषणा कर दी है। उससे दलित वोटों का बटवारा तय माना जा रहा है। इन स्थितियों को देखते हुए इतना तय है कि दलितों के वोटों को सेंधमारी से बचाने के लिए राजग के दो बड़े दल जनता दल यू जिसके मुख्यमंत्री नितीष कुमार हैं और भाजपा के उपमुख्यमंत्री सुषील मोदी के साथ साथ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दलितों के सबसे बड़े नेता तथा उनके पुत्र चिराग पासवान को किसी भी तरह मनाने का प्रयास करेगी। ताकि दलितों का ज्यादा वोट राजग को मिले जैसाकि पिछले चुनाव में मिलता रहा है।
बैरहाल बिहार में इस समय राजग हो या राजद दोनेां के दलित नेता सभी दलितों को ज्यादा से ज्यादा अपने पाले में लाने में जुटे हुए हैं। क्योें कि जिस की तरफ दलित हो जाएंगे। उस दल को सत्ता में पहुंचना आसान हो जाएगा।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
सुझाव एवम शिकायत- प्रधानसम्पादक 9415055318(W), 8887963126