भाजपा के नेता अशोक त्रिपाठी जीतू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दागी नेताओं को हटाने की मांग की

अशोक त्रिपाठी जीतू
सुप्रीम कोर्ट सभी राजनैतिक दलों को ऐसे निर्देश वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले दे चुका है
केन्द्रीय चुनाव आयोग पिछले 6 सालों से चुनाव में दागी प्रत्याशियों को टिकिट न देने के लिए राजनैतिक दलों को कह चुका है
एडीआर पिछले दो दशकों से लोकतंत्र को मजबूत बनाने तथा संविधान की रक्षा के लिए दागी प्रत्याशियों को टिकिट न देने की बात कह रहा है
अनिल शर्मा़+संजय श्रीवास्तव़+डा0 राकेश द्विवेदी
बांदा। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं बार संघ के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जीतू ने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र भेजकर लोकतंत्र बचाने, देश बचाने और संविधान की रक्षा के लिए गंभीर अपराधों के आरोपियों को संवैधानिक पदों से हटाने तथा उनकी जगह स्वच्छ छवि के जनप्रतिनिधियों को नियुक्त करने की मांग की है।
महामहिम राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में अशोक त्रिपाठी जीतू ने कहा है कि आज लोकतंत्र बचाने, देश बचाने और संविधान की रक्षा के लिए यह जरूरी हो गया है। महामहिम राष्ट्रपति महोदय इस मामले में सभी राजनैतिक दलों को दिशा निर्देश दें और ऐसे कड़े कदम उठाएं कि जिन राजनैतिक दलों में गंभीर अपराधिक मामलों के आरोपी जनप्रतिनिधि हैं या फिर ऐसे जनप्रतिनिधि हैं जो किसी कोर्ट से दोषी सिद्ध हो चुके हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को संविधान की मर्यादा, स्वच्छ एवं स्वतंत्र लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि ऐसे दागी लोग जो संवैधानिक पदों पर नियुक्त हो गए हैं। उनके विरुद्ध समय रहते आपके द्वारा कड़े कदम उठाए जाएं।
श्री जीतू ने अपने पत्र में यह कहा कि आज के हालात यह हैं कि सभी राजनैतिक दलों में गंभीर अपराधों के आरोपी नेता जो बाहुबल और धनबल से लैस हैं। वे सभी पार्टियों में विधानसभा और लोकसभा में आसानी से टिकिट पा जाते हैं। जिसके कारण पिछले दो दशकों से संसद और विधानसभा में दागी जनप्रतिनिधियों का कब्जा होता चला जा रहा है। केन्द्रीय चुनाव आयोग पिछले कई सालों से सभी राजनैतिक दलों को गंभीर रूप से आपराधिक मामले के आरोपियों को टिकिट न देने की सलाह देता आ रहा है। यही अभियान पिछले दो दशकों से एडीआर (एसोसिएशन फार डमोक्रेटिक रिफोम्र्स) ने पूरे देश में सभी राज्यों में अपने 1200 वालेण्टियर के साथ मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चला रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दो दशकों में संसद और विधानसभाओं में दागी जनप्रतिनिधियों की बढ़ती संख्या को देखकर 2019 में सभी राजनैतिक दलों को यह कड़े निर्देश दिए कि एक तो वो आपराधिक मामलों के आरोपियों को टिकिट ही न दें और यदि जो राजनैतिक दल टिकिट देता है। वह देश की जनता को एक टीवी चैनल व दो अखवारों में यह विज्ञापन छपवाए कि उसने जिस गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी को टिकिट दिया है उसके ऊपर कितने और किस किस तरह के, मसलन हत्या, डकैती, लूट, बलात्कार के कितने केस दर्ज हैं। इसके पीछे सुप्रीम केार्ट का आशय यह है कि संसद, विधानसभाओं तथा विधान परिषद में स्वच्छ छवि के नेता जनप्रतिनिधि बनकर जाएं।
ऐसे लोग विधायक, सांसद, मंत्री, राज्यपाल तथा विभिन्न आयोगों के पदाधिकारी न बनें, जो गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी हैं। श्री जीतू ने राष्ट्रपति महोदय से प्रार्थना की है कि ऐसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जनप्रतिनिधियों को जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं। ऐसे लोगों को हटाने के लिए वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वार्ता करें और संसद में ऐसा कानून बनवाएं। जिससे आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग संसद और विधानसभाओं में न पहुंचें तथा स्वच्छ छवि के लोग ही इन पदों तक पहुंचें, ताकि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हो सके।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
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