मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद…

ईदगाह सहित 13.37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा
राम जन्मभूमि का विवाद सुलझ जाने के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मुद्दा गर्माने लगा है। मथुरा की सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में श्रीकृष्ण ठाकुरजी विराजमान सहित कई भक्तगणों को वादी बनाते हुए मांग की है कि 12 अक्टूवर 1968 को हुए समझौता और 20 जुलाई 1973 को हुई डिक्री रद किया जाए। याचिका के जरिए 13.37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा है, जिसमें ईदगाह भी शामिल है। वाद में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया गया है। यह भी कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के पिता-पुत्र अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर वाद में 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया है।
ये हैं वादी-प्रतिवादी
ये वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मेनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है।
भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, तरुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह, त्रिपुरारी तिवारी वादी हैं। जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है।
57 पेज की है याचिका
अधिवक्ता विष्णु जैन और हरिशंकर जैन द्वारा सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में दायर यह याचिका 57 पेज की है। जिसमें उन्होंने अपनी सारी बातें रखी हैं।
जबरन पैदा किया जा रहा है विवाद, तनवीर अहमद
वाद पर शाही ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने कहा कि ये विवाद जबरन पैदा किया जा रहा है। कृष्ण की नगरी में सभी भाईचारे के साथ रहते हैं। दोनों ही धार्मिक स्थलों के रास्ते अलग-अलग हैं। पूर्व में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट में सौहार्दपूर्ण ढंग से रजिस्टर्ड समझौता हुआ था। अब कुछ लोग बिना वजह इस मामले तूल देने में लगे हैं। सोमवार को कोर्ट खुलेगी तो इस बारे में पता करके कानूनी विकल्पों पर बात की जाएगी।
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