माफिया डान विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे को आगामी विधानसभा चुनाव का टिकिट देकर बसपा भाजपा के ब्राह्मण वोटों में लगाएंगी सेंध

ब्राह्मण, मुस्लिम, पिछड़े व दलित वोट के सहारे बसपा सुप्रीमो मायावती फिर बनना चाहती हैं मुख्यमंत्री
ऋचा दुबे के माध्यम से बसपा सेण्ट्रल यूपी व बुण्देलखण्ड में ब्राह्मणों को भावनात्मक रूप से लामबंद करेगी
अनिल शर्मा़+संजय श्रीवास्तव़+डा0 राकेश द्विवेदी

लखनऊ। प्रदेश के ब्राह्मणों को लुभाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने तगड़ी रणनीति बना ली है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सबसे पहले बिकरू गांव में माफिया डान विकास दुबे और उनके गुर्गाें द्वारा बीती 2 जुलाई को सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों को गोलियां मारकर शहीद कर दिया गया था। इस जघण्य काण्ड के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार की तीखी आलोचना करते हुए प्रदेश में ला एण्ड आर्डर की चौपट हालत तथा प्रदेश में जंगलराज कायम करने के लिए जमकर आलोचना की।
इसके बाद जब पुलिस ने माफिया डान विकास दुबे सहित उसके आधा दर्जन गुर्गों का एनकाण्टर कर दिया तथा एक दर्जन से अधिक रिष्तेदार गुर्गों की गिरफ्तारी की। जिनमें विकास की करीबी रिश्तेदार दो महिलाएं भी हैं, जिन्हें जेल भेजा गया। मायावती ने यह बयान देकर कि किसी एक व्यक्ति के खराब होने से पूरी बिरादरी खराब नहीं हो जाती। इस तरह कहकर उन्होंने ब्राह्मण समाज के लोगों के जख्मों में भावनात्मक रूप से मरहम लगाने का काम किया। इसका असर यह हुआ कि भाजपा में ब्राह्मण वोटों को लेकर हड़कंप मच गया और भाजपा के शीर्ष नेता ब्राह्मण वोटों के डैमेज कण्ट्रोल में जुट गए।

विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे

उधर राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा है कि मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में भाजपा के ब्राह्मण जनप्रतिनिधियों की हो रही उपेक्षा को ध्यान में रखकर भी दिया है। अक्सर भाजपा के ब्राह्मण जनप्रतिनिधि अपने करीबियों के बीच यह कहते सुने जाते हैं कि योगी शासन में ब्राह्मण बिरादरी के जनप्रतिनिधियों की बहुत ज्यादा उपेक्षा हो रही है। इसी कारण बसपा सुप्रीमो मायावती के इस सधे हुए तीर ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के माथे पर चिंताओं की लकीरें डाल दीं और उन्हें यह चिन्ता सताने लगी कि 2007 में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने जिस तरह से सर्व समाज का नारा देकर तथा ब्राह्मणों को बड़ी संख्या में टिकिट देकर ब्राह्मण, मुस्लिम पिछड़े और दलितों के बेस वोट के आधार पर मजबूत जातीय समीकरण बनाकर उप्र की 403 विधानसभा सीटों में से अकेले दम 206 सीटें जीतकर प्रदेश में बसपा की सरकार बनाई थी। अब माफिया डान विकास दुबे के एनकाउण्टर के बाद ब्राह्मण समाज की सहानुभूति लेने के लिए वे विकास दुबे की विधवा पत्नी व जिला पंचायत सदस्य ऋचा दुबे को कानपुर देहात जिले की अकबरपुर रनियां विधानसभा सीट से आगामी 2022 के चुनाव में बसपा का टिकिट देकर चुनाव लड़ा सकती हैं।
बसपा के एक प्रमुख नेता ने नाम न छापने की शर्त पर यंग भारत को बताया कि ऋचा दुबे का बसपा से चुनाव लड़ना लगभग पक्का है। मायावती अपने मनोवैज्ञानिक दांवपेंच से उप्र में ब्राह्मण मतदाताओं पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेंगीं। इसका उन्हें सबसे ज्यादा लाभ सेण्ट्रल यूपी और बुण्देलखण्ड के क्षेत्र में खासतौर पर मिल सकता है। भले ही बसपा सुप्रीमों उप्र में चार बार मुख्यमंत्री रही हों। उन्हें आज तक 2007 में उन्होंने सर्वसमाज का नारा देकर अकेले दम पर 206 सीटें जीतकर बसपा की सरकार बनाई थी। वैसी जीत पहले और न बाद के चुनाव में कभी नहीं मिल पाई है। इसलिए 2007 की जीत को कभी भुला नहीं पाई हैं।
2007 के विधानसभा चुनाव में एकबार फिर से वे सर्वसमाज का नारा लेकर अपने दलित बेस वोट की 21 प्रतिशत, ब्राह्मण 11 प्रतिशत, मुस्लिम 15 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग 50 प्रतिशत को मिलाकर इस मजबूत जातीय समीकरण के चलते बसपा 97 प्रतिशत मतदाताओं को टार्गेट करेगी। यदि उनकी यह रणनीति सफल रही तो वे उप्र में होने वाले मतदान का 48 प्रतिशत मत पाने का प्रयास करेंगी। यदि वे ऐसा करने में सफल रहीं तो वे पांचवीं बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने का उनका लक्ष्य आसान हो जाएगा।

संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.

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