मौत की सजा का प्रावधान होने के बाद भी देश में नहीं रूक रहे रेप के मामले

सहारनपुर में नाबालिग के साथ गैंगरेप- 1 आरोपी गिरफ्तार, 2 अभी फरार
12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए मौत की सजा
16 साल की कम उम्र से बच्चियों के साथ रेप की 20 साल की कठोर सजा
2018 में कुल रेप के मामले- 33,356
2018 के आंकड़ों के अनुसार हर 15 मिनट में होती है बलात्कार की घटना
उत्तरप्रदेश के सहारनपुर से एक नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना हुई है. खबर है कि उसके साथ उसके सहपाठियों ने रेप किया,आरोपी भी नाबालिग हैं.इसके पहले लखीमपुरी खीरी और गोरखपुर से भी बच्चियों के साथ बलात्कार की खबर आयी थी.
गौरतलब है कि देश में बच्चियों और नाबालिगों के साथ बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं. बलात्कार, वीडियो बनाना और उसके बाद हत्या. इस खौफनाक ट्रेंड के सामने आने के बाद सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया. वर्ष 2018 में पॉक्सो कानून में संशोधन करके एक नया कानून देश में बना जिसके अनुसार 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप हुआ तो मौत की सजा का प्रावधान किया गया, वहीं 16 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप होने पर 20 साल की कठोर सजा या उम्रकैद का प्रावधान भी हो सकता है.
पर यहां सवाल यह है कि क्या इतने कठोर कानून के बाद भी बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं रूकी हैं? इसका जवाब आंकड़े देते हैं. 2018 के आंकड़ों के अनुसार देश में हर 15 मिनट में बलात्कार की एक घटना होती है. बलात्कार के मामलों में 94 प्रतिशत ऐसे हैं जो उनके जान-पहचान वाले करते हैं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्य में रेप की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं. NCRB के अनुसार वर्ष 2018 में देश में 33, 356 रेप केस दर्ज हुए जिनमें से 31,320 परिचितों द्वारा किये गये अपराध के मामले थे.
दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता के दोषियों को इसी वर्ष फांसी की सजा भी हुई है, बावजूद इसके छोटी बच्चियों और लड़कियों के साथ बलात्कार की घटना आम है. हाल ही में दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके से एक 12 साल की बच्ची के साथ हैवानियत की खबर आयी थी. बच्ची अभी एम्स अस्पताल में भरती है. जुलाई महीने में दिल्ली से ही एक आठ साल की बच्ची के साथ रेप की घटना सामने आयी थी. पटना से तो एक कोविड वार्ड से नाबालिग के साथ बलात्कार की खबर सामने आयी थी.
समाज के लिए सबसे खतरनाक बात तो यह है कि नाबालिग लड़के भी अपने बड़े और बिगड़ैल बलात्कारियों से मानो इस अपराध की प्रेरणा ले रहे हों. क्योंकि जहां छोटी और नाबालिग बच्चियां दुष्कर्म की शिकार बनाई जा रही हैं. वहीं नाबालिग लड़कों के द्वारा भी समाज के इस सबसे घृणित अपराध को नाबालिग लड़कों द्वारा भी अंजाम दिया जाने लगा है. इसका ताजा उदाहरण सहारनपुर में हुई नाबालिग बच्ची के रेप की घटना में देखने को मिलता है. कहने का मतलब यह है कि समाज मे बढ़ती दुष्कर्म की घटनाएं अब आम हो गयी हैं. और नाबालिग किशोर भी बड़ो से बुराई सीखकर दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. यह सच्चाई समाज के लिए भविष्य में कितनी घातक होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
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