यूपी में 8 सीटों पर होना है उपचुनाव…

चुनाव आयोग ने नहीं किया तारीखों का एलान, 29 सितम्बर को लिया जाएगा फैसला; 8 में से 6 सीटों पर 2017 में भाजपा दर्ज कर चुकी है जीत

लखनऊ: देश में फैली कोविड महामारी के बीच केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए तो तिथियों की घोषणा कर दी है लेकिन यूपी की आठ सीटों पर होने वाले उप चुनाव की तारीख के बारे में 29 सितम्बर को निर्वाचन आयोग की होने वाली बैठक में मुहर लगेगी। माना जा रहा था कि आज ही राज्य में 8 सीटों पर होने वाले उपचुनावों का भी एलान कर दिया जाएगा। इन 8 सीटों में से 5 सीट पर 2017 में निर्वाचित विधायकों के निधन की वजह से सीटें खाली हुईं थी।

वहीं 2017 विधानसभा चुनाव की बात करे तो 8 में से 6 पर भाजपा का कब्जा रहा है। जिन 8 सीटों पर चुनाव होने हैं उसमें से 5 विधानसभा सीटों पर 2017 में निर्वाचित विधायक कमल रानी वरुण, पारसनाथ यादव, वीरेंद्र सिरोही, जन्मेजय सिंह, चेतन चौहान का निधन हो चुका है, जबकि रामपुर के स्वार सीट से गलत दस्तावेज लगाने पर आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की सदस्यता जा चुकी है।

वहीं, बांगरमऊ विधानसभा सीट से 2017 में चुनाव जीते कुलदीप सिंह सेंगर के सजायाफ्ता होने के कारण उनकी सदस्यता चली गयी। टूण्डला विधानसभा सीट से एसपी सिंह बघेल के सांसद बनने के बाद सीट खाली हुई है। अब यहां भी उपचुनाव होना है। इन आठ सीटों पर भाजपा ने 2017 के चुनाव में 6 सीटें जीती थीं, जबकि 2 सीटें सपा के पास थी। लेकिन, 2012 में इनमें से 4 सीट सपा के पास, 2 बसपा के पास और एक-एक सीट पर कांग्रेस और भाजपा का कब्जा था।

विधानसभा सीटकौन था विधायक
घाटमपुर (कानपुर)कमल रानी वरुण (भाजपा)
मल्हनी (जौनपुर)पारस नाथ यादव (सपा)
बुलंदशहर सदरवीरेंद्र सिरोही (भाजपा)
टूंडला (फिरोजाबाद)प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल (भाजपा)
देवरिया सदरजन्मेजय सिंह (भाजपा)
बांगरमऊ (उन्नाव)कुलदीप सिंह सेंगर (भाजपा से अब निष्कासित)
नौगावां सादात (अमरोहा)चेतन चौहान (भाजपा)
स्वार (रामपुर)अब्दुल्ला आजम खान (सपा)

क्यों जरूरी है उपचुनाव
यूपी में फिलहाल भाजपा सरकार इतनी मजबूत है कि वह 8 सीट हार भी जाये तो उसे कोई फर्क नही पड़ेगा। फिर भी जानकर मानते हैं कि उपचुनाव हमेशा से पक्ष और विपक्ष के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होता है। इसलिए सभी पार्टियां जोर आजमाइश में भी लगी हुई है।

सिर्फ डेढ़ साल के लिए बन सकेंगे विधायक

यूपी में भाजपा को काबिज हुए लगभग साढ़े तीन साल का वक्त बीत चुका है। ऐसे में अब निर्वाचित विधायकों के पास सदन में बैठने का बहुत ज्यादा मौका नही होगा। सभी 8 निर्वाचित विधायक डेढ़ साल से भी कम वक्त के लिए निर्वाचित होंगे। दरअसल, 2022 में यूपी एक बार फिर विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगा।