शरद पवार की गुगली से भाजपा हुई बोल्ड

बीजेपी शिवसेना के बीच दूरी बढ़ाने के लिए ही शरद पवार ने बाहर से समर्थन देने की बात कही थी
जोड़ तोड़ के पीक पर पीएम नरेन्द्र मोदी को पवार ने दो टूक कह दिया
एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस के साथ सरकार बनाएगी
अनिल शर्मा़+संजय श्रीवास्तव़+डा0 राकेश द्विवेदी
मुम्बई। महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार को चाणक्य के रूप में देखा जाता है। जिस तरह से उन्होंने बीजेपी को बाहर से समर्थन देने का झांसा दिए रखा और इसके बाद ऐसी राजनैतिक गुगली फेकी कि भाजपा क्लीन बोल्ड हो गई।
हुआ यूं कि 2014 में महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार में विभागों को लेकर विवाद हुआ तो मौके का फायदा उठाते हुए एनसीपी के अध्यक्ष पवार ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को यह आश्वासन दे दिया कि यदि शिवसेना सरकार के विरोध में जाएगी तो एनसीपी भाजपा को बाहर से समर्थन दे देगी। इस गोपनीय बात को श्री पवार ने अपने मित्र और शिवसेना के नेता संजय राउत को भी बता दिया। इसके चलते जो मतभेद पैदा हुए उसके कारण शिवसेना भाजपा की वह दरार बढ़ते बढ़ते पिछले 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में खाई में बदल गई। हुआ यूं कि इस चुनाव में विधानसभा की कुल 288 सीटों में से भाजपा को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 59, कांग्रेस को 44 और निर्दलीय बहुजन आघाड़ी को 3 सीटें मिली थीं। लेकिन चाणक्य शरद पवार ने पांच साल पहले जो बीज भाजपा और शिवसेना के बीच बो दिया था। उसका परिणाम साफ साफ दिखाई देने लगा।
यदि बीजेपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाते तो दोनों को मिलाकर स्पष्ट बहुमत था। वे आराम से भाजपा शिवसेना युति की सरकार पांच साल तक चला सकते थे। लेकिन पवार द्वारा डाला गया वह बीज अब फल बन चुका था। इसलिए जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के सामने यह शर्त रखी कि ढाई साल भाजपा और ढाई साल शिवसेना के मुख्यमंत्री बारी बारी से रहें। इसके लिए शिवसेना में सर्वसम्मति से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया गया। जिसे भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने यह करकर ठुकरा दिया कि भाजपा शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा है। जनता ने भाजपा शिवसेना को बहुमत का जनादेश दिया है। भाजपा चूंकि सबसे बड़ी पार्टी है, उसके सबसे ज्यादा विधायक हैं इसलिए मुख्यमंत्री वे ही बनेंगे।
यह बात श्री फड़नवीस इसलिए इतनी दम से कह रह थे कि उन्हें पूरा विष्वास था कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी भाजपा को बाहर से समर्थन दे देगी। इसके बाद शरद पवार के भतीजे अजीत पवार देवेन्द्र फड़नवीस से मिलने गए। वे पार्टी के सचेतक थे। इस नाते उन्होंने एनसीपी के 59 विधायकों के समर्थन देने की बात अपने लैटरपैड में लिखकर देवेन्द्र फड़नवीस को दे दी। देवेन्द्र फड़नवीस ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से यह बात बताई और इसका परिणाम यह हुआ कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने आनन फानन में देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। इसके बाद शरद पवार ने चाणक्य नीति अपनाते हुए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 40 मिनट वार्ता की और लोग यह अंदाजा लगाते रहे थे कि महाराष्ट्र में भाजपा और एनसीपी की सरकार बनने जा रही है। लेकिन दिल्ली से लौटते ही श्री पवार ने ऐसी गोटें बिछाईं कि उनके भतीजे अजीत पवार को वापस चाचा के खेमे में लौटना पड़ा।
बाद में यह बात खुलकर आई कि शरद पवार ने जो गोपनीय रणनीति अपनाई थी, उसके तहत महाराष्ट्र में गैर भाजपा की सरकार बनाना उनका लक्ष्य था। जिसमें उन्होंने कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी जैसी बैचारिक रूप से विपरीत ध्रुवों वाली पार्टियों को एक कर दिया। उन्होंने उद्धव ठाकरे को समझाया कि कांग्रेस और उनकी पार्टी के लोग मुख्यमंत्री के रूप में उनके पुत्र आदित्य ठाकरे को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यदि आप मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार हो जाएं तो सभी दल तैयार हो जाएंगे। इसके बाद सभी को पता है कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की संयुक्त सरकार चल रही है। अभी पिछले दिनों एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए एक इण्टरव्यू में बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 2014 में बीजेपी को बाहर से समर्थन देने की उनकी पेशक़श ‘‘एक राजनैतिक चाल‘‘ थी। जिसका मकसद शिवसेना को बीजेपी से दूर रखना था।
पवार ने स्वीकार किया कि उन्होंने बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया था। इस तरह से राजनीति के एक चतुर खिलाड़ी ने बीजेपी के बने बनाए गेम को ऐन वक्त पर पलट दिया।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, डॉ. राकेश द्विवेदी- सम्पादक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.
सुझाव एवम शिकायत- प्रधानसम्पादक 9415055318(W), 8887963126