शासन की आखों में भी धूल झोंकती पुलिस

पुलिस ने कहा आरोप झूठे, दोषी ने स्वीकारे आरोप
मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने पर भी नहीं मिल रहा न्याय
पुलिस ने समस्या के निस्तारण की भेज दी थी पोर्टल पर झुठी रिपोर्ट
अनिल शर्मा+संजय श्रीवास्तव+मुदित चिरवारिया
झांसी। पुलिस का बर्ताव जनता के प्रति आये दिन चर्चाओं में आता है लेकिन अब पुलिस मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल जन सुनवाई पोर्टल पर भी झूठी रिपोर्ट लगाने लगी है। पीड़ित की शिकायत को झूठ बताकर निस्तारित कर दिया तो वहीं दोषी ने अपने गलती स्वीकार कर पुलिस की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी।
झांसी महानगर में पचकुंईयां की रहने वाली मुन्नी देवी पत्नि केदारनाथ अग्रवाल का खाता स्टेट बैंक की फोर्ड शाखा में है। वह 28 फरवरी को ग्रीन कार्ड से बैंक में 25000 रूपये जमा करने गयी। काउन्टर पर ग्रीन कार्ड व रूपये देने के बाद उन्हें एक स्लिप थमा दी गयी। पासबुक में इंट्री नहीं दी गयी। वह पढ़ी लिखी न होने के कारण घर चली गयी। इसके बाद कई बार इंट्री कराने गयी लेकिन नहीं की गयी। इसके बाद लाॅक डाउन हो गया। उन्होंने 10 जून को पासबुक में इंट्री करायी तो 25000 जमा नहीं किये गये थे। बैंक मैनेजर से बात करने पर उन्होंने उसे वहां से भगा दिया। मजबूर होकर पीड़ित ने 12 जून को मुख्यमंत्री के प्राथमिकता वाले जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज करायी। इस पर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 14 जून को ही जांच कर रिपोर्ट लगा दी। जिसमें लिखा है कि जांच की गयी मैनेजर व कैशियर से भी पूछतांछ की गयी। प्रकरण झूठा व आरोप निराधार है। इसलिए शिकायत को निस्तारित किया जाता है। पीड़ित ने जन सूचना अधिकार मंच के सदस्य अनेश अग्रवाल से सम्पर्क किया। वह उनके साथ मैनेजर के पास गये व जांच करायी तो बैंक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए 29 जून को पीड़ित के खाते में रूपये ट्रान्सफर कर दिये। पीड़ित को जन सुनवाई पोर्टल से जो न्याय की उम्मीद थी वह पूरी नही हो सकी। पीड़ित ने हिम्मत नहीं हारी और उसे उसका पैस मिल गया। इस प्रकरण ने पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर सामने ला कर रख दी है कि पुलिस किस तरह से कार्य करती है और किस तरह से जांच पूरी की जाती है। जो पुलिस मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले एप् को गम्भीरता से नहीं लेती व वहां भी झूठी जांच रिपोर्ट लगा देती है तो जनता के साथ क्या न्याय करती होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।