शील, रईस और अनुभव का गिरोह भूमि चोर से भूमि हड़पू बना अब पुलिस बना देगी उसे सूचीवद्व भू-माफिया
भूमि हड़पू गिरोह की दोबारा से बड़ी चहल कदमी, दो नई कारों के साथ पुलिस को ठेंगा दिखाते हुए शहर मे घूमा गिरोह
दूसरों की एवं सरकारी भूमि हड़पने के कई मामलों मे शिकायती पत्र भेजे जाने के बाद भी नही हुयी ठोस कार्रवाई
स्टेशन रोड सहित उरई की चारों दिशाओं मे भूमि हड़पने का काम करता है गिरोह
संत कुमार गुप्ता ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेज कर सरकारी भूमि को बेच देने का लगाया आरोप, एफआईआर दर्ज करके कठोर कार्रवाई की मांग
दलित पीड़िता और केस की वादी रजनी खुलेआम ले रही है भूमि हड़पुओं के नाम, 161 का नाम खोलकर दर्ज करा चुकी है बयान
उरई(जालौन): कुख्यात भूमि हड़पू गिरोह जिसका अवैध कारोबार कई वर्षो से उरई मे फैला हुआ है। वो पहले भूमि चोर की हैश्यित रखता था। जब शील चतुर्वेदी का पुत्र अनुभव गिरोह के कामों मे शामिल हो गया और रईस खरादी को अपना पार्टनर बना लिया। तो इस गिरोह की आपराधिक गतिविधियां और हैश्यित बड़ी तथा गिरोह को भूमि हड़पू गिरोह की नजर से देखा जाने लगा। कुख्यात अराजकतत्वों ने जमीनें हड़पने का पूरा ताना बाना बना रखा है। ये तो गुण्डे नही है न ही इनमे कलेजा है। मगर अनेक अपराधियों और शूटरों को अपने साथ पत्ती देकर मिला रखा है। वहीं कई ऐसे खराब नियत के नेता और जनप्रतिनिधि भी है। जो इनकी कमाई खाते है। यहीं नही कुछ अधिवक्ता भी इनकी स्थायी पैरवी करने के लिये नियुक्त है। इसी कारण अनेकों सिविल के, रेवन्यू के मुकदमें इनके विरूद्व विभिन्न अदालतों मे चल रहे है तथा लगभग तीन दर्जन एफआईआर इस गिरोह के सक्रिय सदस्यों के नाम दर्ज है। मगर यह गिरोह अभी भी अपने आपराधिक कारनामों को पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से मिली भगत के चलते अपने कार्यों को अंजाम देता रहता है। होने वाली कमाई को सभी मिल वांट कर खाते है।
गुरूवार को “यंग भारत” को एक और सनसनीखेज मामले के दस्तावेज पीड़ित पक्ष द्वारा सौपे गये। इन पर आरोप है कि सरकारी भूमि जो स्टेशन रोड पर तलैया के नाम से स्थित है उसके एक अंश को अपनी संपत्ति बताकर फर्जीवाड़ा किया और बेच डाला। आरोपों मे बताया गया है कि उरई मे ग्रेन मार्केट के लिये 4 अक्टूबर 1918 को राठ रोड एवं स्टेशन रोड पर 18.92 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की गयी थी। जिसमें .82 डेसीमिल नघु मुहाल की भी थी। जिसका मुआवजा सरकार द्वारा उनके मालिक को जिलाधिकारी द्वारा 13 मार्च 1919 को मुहाल नघु के मालिक ग्या प्रसाद को 93.00 रूपया 7 आना 6 पैसा मुआवजा दे दिया गया था और भूमि पर ग्रेन मार्केट का कब्जा हो गया था। मगर पूर्व भूमि स्वामी के मरने के बाद उनके वारिसों ने जो बहुत दो नंबरी पैदा हुए ने 1382 गाटा संख्या की 82 डेसीमिल भूमि को सरकारी संपत्ति हो जाने के बाबजूद धोखाधड़ी करते हुए बार बार बेचा। बैनामा शील चतुर्वेदी द्वारा रामस्वरूप चतुर्वेदी निवासी सुभाष नगर उरई ने 11 मार्च 1991 को 41 डेसीमिल भूमि संजय अग्रवाल को 40000 हजार रूपये मे बेच दी। यही नही सरकारी भूमि का दूसरा वैनामा दिनांक 15 दिसम्बर 2000 को रूपया 80 हजार मे शील चतुर्वेदी एवं उसकी पत्नी श्रीमती शिव दुलारी पुत्री मथुरा प्रसाद निवासी सुभाष नगर उरई जो कभी अपने नाम के आगे शिव दुलारी कभी शिवा चतुर्वेदी पत्नी शील चतुर्वेदी निवासी सुभाष नगर भी लिखती है। शील चतुर्वेदी अपने को जमीदार बताकर लोगों को धोखा देकर रूपया हड़पता है तथा गुण्डों से मिलकर डराता धमकाता है। उक्त प्रकरण की कई बार जिले एवं तहसील के उच्चाधिकारियों से शिकायतकी गयी किन्तु इन भूमि हड़पुओं की सेंटिग और गेंटिग के चलते आज तक कोई ठोस कार्रवाई नही की गयी है। न ही इन फर्जी मालिक बनकर सरकारी भूमि बेचने वाले शील एवं उनकी पत्नी के विरूद्व कोई एफआईआर दर्ज की गयी है। एफआईआर दर्ज करके इनके द्वारा किये गये सारे अपराधों की सारी सूची संलग्न करके इन्हें सूचीवद्व भू माफिया के रूप मे रजिस्टर्ड करने एवं एनएसए तथा गैगस्टर के तहत संपूर्ण भूमि हड़पू गिरोह के विरूद्व लगाए जाने और कठोरतम कार्रवाई अमल मे लाए जाने की भी मांग की गयी है।