लखनऊ: प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार आते ही एंटी भू माफिया सेल का गठन किया गया था। जनता को उम्मीद बंधी थी कि अब भू माफियाओं द्वारा जमीनों पर कब्जे, अतिक्रमण जैसी घटनाओं पर विराम लगेगा, लेकिन सरकार के सभी दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। इसी का परिणाम है कि जिले से लेकर देहात क्षेत्र तक तालाबों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। भूमाफियाओं द्वारा तालाबों की भूमि पर कब्जे कर कालोनियां काट दी गई है।
आबादी में बदल गए तालाब
जिले में भू माफियाओं ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लघंन करते हुए तालाबों की जमीन पर कब्जे कर रखे हैं। लगातार कम होते जा रहे तालाबों के कारण क्षेत्र में जलवायु और प्राकृतिक संकट खतरे में पड़ गया है। नगर में वर्ष 1965 में जलस्तर 15 फीट पर हुआ करता था, वहीं अब जल स्तर 100-110 फीट पर पहुंच गया है। एक समय था जब ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी देवबंद के चारों ओर लगभग एक दर्जन प्रमुख तालाब थे, लेकिन आज इन तालाबों को पाट कर भू-माफियाओं ने कालोनियां काट डाली हैं।
मुगलकालीन तालाब पर भी कब्जा खेड़ा मुगल क्षेत्र में मुगलकालीन संस्कृति से जुड़ा 226 बीघा भूमि के तालाब पर कब्जा होने से उक्त तालाब का आधार भी समाप्त होता जा रहा है। मजनू वाला तालाब समेत मोहल्ला पठानपुरा में शेर खां वाला तालाब, दारुल उलूम तालाब, मंगलौर चौकी के निकट वाला तालाब, कोला तालाब, एसडीएम कोर्ट के सामने वाला तालाब, रणखंडी रोड के दो तालाब, सूरज कुंड, दुबहा, मरहूम मौलवी उस्मान के बाग का सांपों वाला तालाब, ईदगाह का तालाब आदि पर कब्जा हो चुका है।
एक हजार से ज्यादा थे तालाब
सहारनपुर की देवबंद तहसील में वर्ष 1953 में तालाबों का रकबा 376.04 हेक्टेयर था। इस तहसील में 1150 तालाब थे। इनमें से अधिकांश तालाबों पर कब्जा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पुलिस प्रशासन ने कुछ समय के लिए तालाब की भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए कुछ तालाबों को कब्जा मुक्त कराया था, लेकिन यह अभियान ऊंट के मुंह में जीरा सिद्ध हुआ और फिर से उन तालाबों पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा कर लिया गया।
SDM दीपक कुमार का कहना है कि तालाबों की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा। हल्का लेखपालों से तालाबों पर कब्जे के संबध में रिपार्ट मांगी गई है। कब्जा करने वाले माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.