लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दो अधिकारियों को बहुत अहंकारी बताते हुए उनके जमानती वारंट को रद्द करने से इंकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वसूली अमीन को नियमित करने और बकाया भुगतान से जुड़े मामले में आदेश न मानने पर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार और वित्त सचिव संजय कुमार के खिलाफ वारंट जारी किया है। हाईकोर्ट के इस आदेश को रद्द कराने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट का रवैया आपके लिए नरम रहा। आपको इससे ज्यादा गंभीर सजा मिलनी चाहिए थी। आपने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद एक कर्मचारी को उसके बकाया धन से वंचित किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
अदालत को प्ले ग्राउंड बना रहे
एक नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वसूली अमीन भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी की सर्विस नियमित करने और बढ़ी हुई सैलरी के भुगतान पर सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव (राजस्व) और वित्त सचिव के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। कहा था कि ये अधिकारी अदालत को प्ले ग्राउंड बना रहे हैं और वसूली अमीन को बढ़े वेतन का भुगतान करने से मना कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के भुगतान संबंधी पहले आदेश के समय संजय कुमार प्रयागराज के जिलाधिकारी थे, जो अब वित्त सचिव हैं। इसलिए कोर्ट ने दोनों उच्च अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किए हैं। अब दोनों अधिकारियों को 15 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
गिरफ्तारी के खतरे को देखते यूपी सरकार ने अपने अधिकारियों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दोनों अधिकारियों को बहुत अहंकारी करार दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अधिकारियों ने कोर्ट को गुमराह किया था। इस मामले में एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी, बावजूद इसके अधिकारियों ने बढ़ा वेतन नहीं दिया।
चीफ जस्टिस ने कहा- आप इसी के काबिल हैं
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इसी लायक हैं। आपके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी थी। हाईकोर्ट ने आपके प्रति उदारता दिखाई। आप अपने आचरण को देखिए, आपके अंदर कोर्ट के प्रति आदर का भाव नहीं है। एक कर्मचारी का उसके बढ़े वेतन का भुगतान नहीं किया, उसकी सर्विस को नियमित नहीं की गई।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की भी उपस्थिति रही। यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सफाई देने का जैसे ही प्रयास किया, पीठ ने तुरंत पलटवार कर दिया। कहा कि आप यह सब सफाई हाईकोर्ट में कहना, जहां अधिकारी गिरफ्तार करके पेश किए जाएंगे।
संजय श्रीवास्तव-प्रधानसम्पादक एवम स्वत्वाधिकारी, अनिल शर्मा- निदेशक, शिवम श्रीवास्तव- जी.एम.